पुलिस ने बताया कि मत्स्य विश्वविद्यालय की ओर से बीएससी पार्ट प्रथम वर्ष के फिजिक्स का पेपर 30 अप्रेल को हुआ था। परीक्षा से पहले ही सोशल मीडिया पर पेपर वायरल हो गया था। पेपर वायरल होने की शिकायत जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक को की गई। जिला पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में टीम गठित कर मामले की जांच की गई। मुखबिर की सूचना पर अलवर से सीआईयू टीम और क्यूआरटी बुधवार रात नारायणपुर पहुंची। सीआईयू टीम के इंचार्ज दिनेश मीणा, कांस्टेबल राजाराम गुर्जर, मुकेश मुकेश और नारायणपुर थानाधिकारी अवतार सिंह क्यूआरटी और पुलिस टीम के साथ कस्बे के हेमलता मेमोरियल गल्र्स कॉलेज के पीछे पहुंचे तो वहां तीन छात्र बैठे मिले। पुलिस को देखकर वे भागने लगे। पुलिस ने मौके पर से सलमान पुत्र महाराजुद्दीन खां निवासी बड़ागांव थाना बानूसर और सुनील पुत्र महावीर प्रसाद बलाई निवासी ज्ञानपुरा थाना बानसूर को गिरफ्तार कर लिया। जबकि उनका तीसरा साथी मौके से फरार हो गया।
नाबालिग छात्र ही मुख्य सूत्रधार पुलिस पड़ताल में सामने आया है कि पेपर लीक करने का मुख्य सूत्रधार नाबालिग आरोपी है, जो कि पुलिस की दबिश के दौरान फरार हो गया था। वह कॉलेज से आईटीआई कर रहा है और हेमलता मेमोरियल गल्र्स कॉलेज नारायणपुर में कर्मचारी भी है। वह परीक्षा शुरू होने से पहले ही लिफाफा खोलकर पेपर का मोबाइल से फोटो खींच लेता और फिर उसे व्हाट्स-एप से आरोपी सलमान को भेज देता था। सलमान हर पेपर के लिए उसे 500 या 1000 रुपए देता था। फिर सलमान पेपर को आगे बेच देता था।
यूं धरे गए शातिर पेपर लीक करने वालों का पता लगने पर पुलिस ने उन्हें धर दबोचने की योजना तैयार की। पुलिस अधिकारियों ने एक पुलिस कांस्टेबल को बोगस ग्राहक बनाकर पेपर खरीदने के लिए भेजा। आरोपियों ने बोगस ग्राहक को गुरुवार को होने वाले इतिहास के पेपर का पर्चा परीक्षा से आधा घंटे पहले देने की बात कही। साथ ही पेपर बेचने वाले छात्र ने अपने मोबाइल में दो दिन पहले तक के पेपरों की फोटो दिखाई। दोनों के बीच एक हजार रुपए में सौदा तय हुआ, जिसमें से 500 रुपए बोगस ग्राहक ने पेपर बेचने वाले छात्र को दे दिए। इसके बाद पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से बोगस ग्राहक द्वारा दिए गए 500 रुपए भी बरामद किए।
कॉलेज की भूमिका संदेह के घेरे में मत्स्य विश्वविद्यालय के पेपर लीक मामले में नारायणपुर के हेमलता मेमोरियल गल्र्स कॉलेज प्रशासन की भूमिका भी संदेह के घेरे में हैं। पेपर लीक कराने में कॉलेज प्रशासन की मिलीभगत थी या फिर लापरवाही। इस बिंदू पर भी पुलिस गहनता से पड़ताल में जुटी है।
प्राइवेट कॉलेज करते हैं वायरल जिले के बहुत से प्राइवेट कॉलेजों को सरकारी नियमों की कतई परवाह नहीं है। ये कॉलेज पेपर खोलकर उसे पहले ही सभी विद्यार्थियों तक पहुंचा देते हैं। बहुत से कॉलेजों में जमकर नकल तक कराई जाती है। कई कॉलेजों में साल भर विद्यार्थी आते ही नहीं है बल्कि उनसे पास की गारंटी की शर्त पर फीस वसूली जाती है।