ऐसा लगा रंग मोह पिया, तेरो रंग नाय छूटे महिलाओं में इस उत्सव को लेकर गजब का उत्साह देखने को मिला। फिल्मी व देहाती गीतों की धुन पर महिलाओं ने रंगों के इस उत्सव को हंसी खुसी के माहौल में अपने जीवन साथी के साथ मनाया। एक दूसरे को रंग व गुलाल लगाकर उत्सव मनाया। चाची हो या भाभी, देवरानी हो या ज्येठानी सभी ने अपनी तू-तू मैं मैं को भुलकर इस कदर रंग लगाया कि सभी एक रंग में नजर आए। इस दौरान बच्चों ने भी अपने पन का एहसास दिलाने के लिए रंग लगाते हुए इस उत्सव को रंगीन बनाया।
रिश्तों के अनूठे बंधन सूं मुक्त रहा नजारा भारतीय परंपरा में रिश्तों का काफी महत्व है। रिश्ते ही होते है जो परिवार को एक डोर में बांधे रखते है। लेकिन होली का रंगों से लबरेज यह उत्सव सभी रिश्तों की डोर को खोल कर रंगो से सराबोर नजर आया। अपने बडे होने व छोटे होने का एहसास भुलाकर एक होकर इस त्योहार को मनाया।
छेडछाड के रिश्तों में रंगों की बौछार राजस्थानी परंपरा में कुछ रिश्ते ऐसे होते है। जहां छिटाकशी, छेड़छाड़ हमेशा बनी रहती है। जो इस रंगोत्सव में परवान चढ़ जाते है। जीजा और का देवर और भाभी का यह रिश्ता नाजुक के साथ काफी छेडछाड भरा होता है। शहर के कई घरों में इसी तरह का नजारा देखने को मिला। एक दूसरे का रंगने ही हर हद को पार करते हुए रंग लगाया गया।