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# khul ke khelo holi घरों में दिखाई दिया होली का रंग, गुलाल रंगों की बिखरी सतरंगी छटा

locationअलवरPublished: Mar 02, 2018 01:18:13 pm

Submitted by:

Prem Pathak

कॉलोनियों सहित स्थानीय मौहल्लों में दिखाई दिया होली का धमाल

alwar me holi ka dhamal

अलवर में होली के त्यौहार पर सुबह से ही घरों की छत व आंगन से होली के गीतों के स्वर सुनाई देेने लग गए। गली मौहल्लों में रंग बिरंगे हुए लोगों की टोली हर्षोउल्लास के साथ निकली। हर तरफ रंगों की बहार छाई रही। स्थानीय मौहल्लों में छोटे बच्चों ने भी इस होली का जमकर लुत्फ उठाया। बच्चों ने एक दूसरे की मदद से आपस में होली खेली। छोटे-छोटे भाई-बहनों ने एक दूसरे को रंग में इतना रंग दिया। जैसे ये रंग हमेशा ही लगा रहेगा। इस दौरान छोटे बच्चे भी अपने आप को रंगा देखकर अपने भाईयों के रंग लगाने का प्रयास करते देखे गये।
ऐसा लगा रंग मोह पिया, तेरो रंग नाय छूटे

महिलाओं में इस उत्सव को लेकर गजब का उत्साह देखने को मिला। फिल्मी व देहाती गीतों की धुन पर महिलाओं ने रंगों के इस उत्सव को हंसी खुसी के माहौल में अपने जीवन साथी के साथ मनाया। एक दूसरे को रंग व गुलाल लगाकर उत्सव मनाया। चाची हो या भाभी, देवरानी हो या ज्येठानी सभी ने अपनी तू-तू मैं मैं को भुलकर इस कदर रंग लगाया कि सभी एक रंग में नजर आए। इस दौरान बच्चों ने भी अपने पन का एहसास दिलाने के लिए रंग लगाते हुए इस उत्सव को रंगीन बनाया।
रिश्तों के अनूठे बंधन सूं मुक्त रहा नजारा

भारतीय परंपरा में रिश्तों का काफी महत्व है। रिश्ते ही होते है जो परिवार को एक डोर में बांधे रखते है। लेकिन होली का रंगों से लबरेज यह उत्सव सभी रिश्तों की डोर को खोल कर रंगो से सराबोर नजर आया। अपने बडे होने व छोटे होने का एहसास भुलाकर एक होकर इस त्योहार को मनाया।
छेडछाड के रिश्तों में रंगों की बौछार

राजस्थानी परंपरा में कुछ रिश्ते ऐसे होते है। जहां छिटाकशी, छेड़छाड़ हमेशा बनी रहती है। जो इस रंगोत्सव में परवान चढ़ जाते है। जीजा और का देवर और भाभी का यह रिश्ता नाजुक के साथ काफी छेडछाड भरा होता है। शहर के कई घरों में इसी तरह का नजारा देखने को मिला। एक दूसरे का रंगने ही हर हद को पार करते हुए रंग लगाया गया।

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