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पानी के लिए 145 करोड़ रुपए खर्च, फिर भी प्यासा है अलवर जिला, जानिए कहां खर्च हुए पैसे

locationअलवरPublished: Jun 01, 2020 06:47:33 pm

Submitted by:

Lubhavan

अलवर जिले में पेयजल की व्यवस्था के लिए 145 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं लेकिन अभी तक परेशानी का हल नहीं हो सका है

Alwar: More Than 145 Crore Rupees Spend On Drinking Water In Alwar

पानी के लिए 145 करोड़ रुपए खर्च, फिर भी प्यासा है अलवर जिला, जानिए कहां खर्च हुए पैसे

अलवर. शहरी पेयजल व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एनसीआर योजना के तहत 145 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन पानी की जड़ में कई अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार के कारण शहर आज भी प्यासा है। हालात यह है कि इस गर्मी में पूरा शहर पानी किल्लत से जूझ रहा है और आए दिन पानी को लेकर अधिकारियों का घेराव और आंदोलन हो रहे हैं।
एनसीआर योजना के तहत वर्ष-2017 में अलवर शहर की पेजयल व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए 145 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत हुआ। जिसमें शहर में 18 पम्प हाउस का निर्माण कराया गया। शहर के विभिन्न इलाकों में 16 पानी की टंकियां बनवाई गई। इसी के साथ जर्जर हो चुकी पुरानी भूमिगत पेजयल पाइप लाइनों की जगह पूरे शहर में नई पाइप लाइन डाली गई। योजना के तहत तेजी से हुए इन कामों को देखकर एक बार तो सभी को लगा कि शायद अब शहर का पेयजल संकट दूर हो जाएगा, लेकिन कुछ ही समय में इस योजना में विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार की पोल खुल गई। आज हालात यह हैं कि घटिया निर्माण के चलते शहर की कई नई टंकियां लीकेज हैं। जिसके कारण उनमें पानी का स्टोरेज नहीं हो पा रहा है। पम्प हाउसों में काफी ट्यूबवेल सूख चुके हैं या फिर उनके पानी का फ्लो कम हो गया है।
कहीं लीकेज तो कहीं अवैध कनेक्शनों का जाल

पूरे शहर में नई पेयजल लाइन बिछाने के पीछे उद्देश्य था कि पानी के लीकेज और अवैध कनेक्शनों से छुटकारा मिल सके, लेकिन इसमें भी भ्रष्टाचार किया गया। शहर के कई इलाकों में भूमिगत पेजयल लाइन नहीं डाली गई। जिसके कारण शहर में आज भी कई जगह पाइप लाइनें लीकेज हैं और उनमें हजारों अवैध कनेक्शन हो रखे हैं। पाइप लाइनों में लीकेज के कारण रोजाना हजारों लीटर सडक़ों पर व्यर्थ बह जाता है।
सिलीसेढ़ के पानी की आस में सूख रहे कंठ

शहर में पेयजल संकट को दूर करने के लिए सिलीसेढ़ से पानी लाने की योजना पिछले डेढ़ दशक से फाइलों में ही जी और मर रही है। एनसीआर योजना के तहत अलवर शहर से सिलीसेढ़ तक 8 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया जाना था तथा अलग से 1.40 करोड़ रुपए के बजट से सिलीसेढ़ में 14 ट्यूबवेल खोदे जाने थे। इस योजना पर काम भी शुरू हुआ, लेकिन सिलीसेढ़ क्षेत्र के ग्रामीणों के विरोध शुरू कर दिया। ग्रामीणों के विरोध को देख अधिकारियों से इस योजना को फिर फाइलों में दफन कर दिया। अब फिर से इस योजना पर काम करने का कोई अधिकारी नहीं सोच रहा है।
विकल्प तलाशा, लेकिन फिर भी प्यासे

सिलीसेढ़ से पानी लाने की योजना परवान नहीं चढऩे पर जलदाय विभाग के अधिकारियों ने वर्ष-2017 में विकल्प के रूप में सूर्यनगर क्षेत्र में 14 ट्यूबवेल खुदवाए और इनके माध्यम से शहर में पेजयल आपूर्ति शुरू की, लेकिन इस विकल्प के बावजूद आज शहर में पेजयल हालात बदतर बने हुए हैं। शहर के ज्यादातर इलाकों में पेजयल किल्लत बनी हुई है।
विरोध के कारण अटकी योजना

एनसीआर योजना के तहत वर्ष-2017 में शहरी पेजयल व्यवस्था में सुधार पर 145 करोड़ रुपए हुए। जिसमें सिलीसेढ़ में ट्यूबवेल खोदकर और एनसीआर योजना के तहत सिलीसेढ़ से अलवर तक पाइप लाइन बिछाकर शहर में पानी लाने की योजना थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण यह योजना सफल नहीं हो सकी। आसपास इलाकों में ट्यूबवेल खोदकर शहर में पेजयल संकट को दूर किया जा सकता है। इस पर विभागीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
– रामजीत मीणा, अधिशाषी अभियंता, जलदाय विभाग, अलवर।
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