अलवर नगर परिषद में नवम्बर-2019 में कांग्रेस का बोर्ड बना। कांग्रेस बोर्ड का करीब सवा दो साल का कार्यकाल पूरी तरह से फेल रहा है। पहले बजट में कोरोना काल के कारण शहर में कोई विकास कार्य नहीं हो पाए। दूसरे बजट में 9 करोड़ रुपए की निविदाएं लगाई गई, जो कि कई बार निरस्त हुई। बाद में निविदाएं पास हुई, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते इनमें से 39 कार्यों की निविदाएं फिर निरस्त कर दी गई। दूसरे बजट के अंत में फिर 15 करोड़ रुपए की निविदाएं लगाई गई। एसीबी ने 17 फरवरी को इन निविदाओं में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करते कांग्रेस पार्षद और दो ठेकेदारों को 5.15 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। एसीबी की इस कार्रवाई के कुछ दिन बाद ही 15 करोड़ रुपए की इन निविदाओं को निरस्त कर दिया गया। जिसके कारण शहर में विकास कार्य एक बार फिर अटक गए।पार्षद और जनता परेशान
पिछले दिनों शहर में 15 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की निविदाएं लगने से पार्षदों और जनता को अपने वार्डों में विकास की उम्मीद जगी थी। वार्डों में सड़क, नाली व पटाव आदि निर्माण कार्य होने थे, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण निविदाएं निरस्त होने से पार्षद और जनता की उम्मीदों पर पानी फिर गया। अब नगर परिषद में कोई कामकाज नहीं होने से पार्षद और जनता काफी परेशान है। पार्षदों का कहना है कि राज्य सरकार को जल्द ही अलवर नगर परिषद में सभापति और आयुक्त की नियुक्ति करनी चाहिए। जिससे कि शहर की व्यवस्था और जनता के काम सुचारु रूप से चल सके।सभापति और आयुक्त नहीं होने से सभी काम अटके
राज्य सरकार की सुस्ती के कारण अलवर नगर परिषद का बंटाधार हुआ पड़ा है। नगर परिषद में पिछले करीब डेढ़ माह से सभापति की कुर्सी खाली पड़ी है। सरकार सभापति पद पर मनोनयन को अटकाकर बैठी है। वहीं, नगर परिषद में पिछले करीब 22 दिन से आयुक्त भी नहीं है। ऐसे में अलवर नगर परिषद में सभी कामकाज ठप पड़े हैं। शहर की सफाई और रोडलाइट व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई पड़ी है। ठेकेदारों के बिलों के भुगतान नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा नगर परिषद के अन्य कामकाजों का भुगतान अटका पड़ा है। फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं हो रहे हैं तथा पट्टा वितरण का काम भी ठप पड़ा है।