अब तक ये बने सभापति वर्ष 1994 में सामान्य सीट पर योगेश सैनी सभापति बने। लेकिन, इनके कार्यकाल में ही न्यायालय व सरकार के हस्तक्षेप से बाद में संजय नयका व शिवलाल ने शहर की सरकार के मुखिया की कुर्सी को संभाला। अगले कार्यकाल वर्ष 1999 में ओबीसी महिला आरक्षित सीट पर मीना सैनी चेयरमैन बनी। उनके कार्यकालय में ही शकुंतला सोनी ने भी कुर्सी संभाली है। इसके बाद वर्ष 2004 में सामान्य सीट पर भाजपा से अजय अग्रवाल सभापति बने। जिन्होंने बखूबी अपना कार्यकाल पूरा भी किया। फिर वर्ष 2009 ओबीसी महिला आरक्षित सीट पर सीधे चुनाव में अलवर की जनता ने हर्षपाल कौर को सभापति बनाया। लेकिन, आधे कार्यकाल के बाद ही कुर्सी हिल गई। सरकार ने कमलेश सैनी को सभापति बना दिया।
फिर सुनीता खाम्बरा बनी। लेकिन, कार्यकाल के आखिरी दौर में वापस हर्षपाल कौर आ गई। इनके कार्यकाल में भी उठापटक रही। इसके बाद 2014 में सामान्य सीट पर भाजपा की ओर से अशोक खन्ना सभापति बने। जो पूरे कार्यकाल शहर की सरकार के मुखिया पद पर बने रहे। अब वापस नगर परिषद अलवर का चेयरमैन पद सामान्य वर्ग के खाते में है। इस बार तीन पूर्व सभापति वार्ड पार्षद चुनाव लड़ रहे हैं।
नए चेहरे के हाथ होगी कुर्सी नगर परिषद के पुराने रिकॉर्ड व मौजूदा सामान्य वार्डों के टिकट वाले चेहरों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस बार भी सभापति की कुर्सी पर नया चेहरा हो सकता है।
हालांकि अभी तक दोनों ही पार्टियों ने सभापति का चेहरा सामने नहीं रखा है। पार्षद चुनाव परिणाम और जितने वाले पार्षदों की संख्या के आधार पर सभापति का चेहरा सामने लाया जाएगा।
हालांकि अभी तक दोनों ही पार्टियों ने सभापति का चेहरा सामने नहीं रखा है। पार्षद चुनाव परिणाम और जितने वाले पार्षदों की संख्या के आधार पर सभापति का चेहरा सामने लाया जाएगा।