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अलवर शहर की सरकार को 55 दिन पूरे, विकास का एजेंडा शून्य

locationअलवरPublished: Jan 20, 2020 12:30:54 am

Submitted by:

Prem Pathak

अलवर. शहर की नई सरकार को 55 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन ये 55 दिन फ्लॉप शो साबित हुए हैं। नगर परिषद बोर्ड अब तक शहर के विकास का एक भी एजेंडा तय नहीं कर पाया है। जबकि शहर गंदगी, ड्रेनेज, पार्र्किंग, अतिक्रमण और लावारिस पशुओं से त्रस्त है।

अलवर शहर की सरकार को 55 दिन पूरे, विकास का एजेंडा शून्य

अलवर शहर की सरकार को 55 दिन पूरे, विकास का एजेंडा शून्य

अलवर. शहर की नई सरकार को 55 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन ये 55 दिन फ्लॉप शो साबित हुए हैं। नगर परिषद बोर्ड अब तक शहर के विकास का एक भी एजेंडा तय नहीं कर पाया है। जबकि शहर गंदगी, ड्रेनेज, पार्र्किंग, अतिक्रमण और लावारिस पशुओं से त्रस्त है।
नगर परिषद अलवर के 65 वार्डों में 16 नवम्बर को पार्षदों के चुनाव कराए गए। जिनका परिणाम 19 नवम्बर को घोषित हुआ। इसके बाद 26 नवम्बर को सभापति का चुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस का बोर्ड बना और बीना गुप्ता सभापति चुनी गई। इसके अगले दिन 27 नवम्बर को उपसभापति का चुनाव हुआ। शहर की नई सरकार के गठन के बाद 4 दिसम्बर को नगर परिषद बोर्ड की पहली बैठक हुई। ये बैठक स्वागत सत्कार और परिचय तक सिमटी रही। कुछ पार्षदों ने जरूर शहर की समस्याओं पर विचार रखे, लेकिन बोर्ड ने उन पर गंभीरता से विचार नहीं किया। इसके बाद से अब तक नगर परिषद बोर्ड की कोई बैठक नहीं हुई है और ना ही शहर के विकास को लेकर कोई मास्टर प्लान तैयार किया गया है।
यें हैं शहर की पांच प्रमुख समस्या


गंदगी : शहर की साफ-सफाई व्यवस्था बदहाल है। नए परिसीमन के अनुसार शहर में 65 वार्ड हो गए हैं, लेकिन सफाई व्यवस्था आज भी पुराने परिसीमन यानि कि 50 वार्डों के हिसाब से ही हो रही है। कई गली-मोहल्लों और सडक़ों से कचरा नहीं उठ रहा है। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे रहते हैं। वहीं, शहर के शौचालय गंदगी और सड़ांध मारती रहती है।
ड्रेनेज : शहर की ड्रेनेज व्यवस्था खराब है। नाले और नालियां गंदगी, कीचड़ और कचरे से अटी पड़ी हैं। कई नाले और नालियां काफी समय से ब्लॉक पड़े हैं। जिनकी सफाई नहीं कराई जा रही है। जिसके कारण शहर में जरा सी बारिश होते ही नालों का कीचड़ और गंदा पानी सडक़ों पर भर जाता है।
पार्किंग : बदहाल पार्र्किंग व्यवस्था शहर की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। शहर में मल्टीस्टोरी पार्र्किंग नहीं है। बाजारों में दुपहिया और चौपहिया वाहन नो-पार्र्किंग जोन में खड़े रहते हैं। जिसके कारण बाजारों में जाम की स्थिति बनी रहती है।
अतिक्रमण : अतिक्रमण ने शहर के स्वरूप को ही बिगाड़ दिया है। शहर के प्रमुख बाजार, चौराहा, सडक़ मार्गों पर ठेले-पटरी, खोखे सहित कच्चा-पक्का अतिक्रमण जमा हुआ है।
लावारिस पशु : शहर में गाय, सांड, कुत्ते, ***** आदि लावारिस पशु सडक़ों पर घूमते रहते हैं। ये लोगों को टक्कर मार और काटकर घायल भी कर देते हैं।
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