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नगर परिषद : बच सकती है सभापति की कुर्सी, अविश्वास प्रस्ताव में आई बड़ी मुश्किल

locationअलवरPublished: Jan 11, 2019 09:02:12 am

Submitted by:

Hiren Joshi

अलवर नगर परिषद मे पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव से पहले ही प्रस्ताव खो दिया है। २५ पार्षद बाड़ेबंदी से वापस आ गए हैं।

Alwar Nagar Parishad No Confidence motion is in danger

नगर परिषद : बच सकती है सभापति की कुर्सी, अविश्वास प्रस्ताव में आई बड़ी मुश्किल

अलवर. नगर परिषद सभापति व उप सभापति के खिलाफ बोर्ड की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पेश होने से पहले ही लग रहा है कि पार्षदों ने आपस में विश्वास खो दिया। अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले पार्षद बाड़ेबंदी से वापस लौट आए हैं। अब यह माना जा रहा है कि 17 जनवरी को बैठक के नाम पर महज औपचारिकता होगी। अविश्वास प्रस्ताव इसलिए खारिज हो सकेगा कि बोर्ड की बैठक में जरूरत के 38 पार्षदों का पहुंचना मुश्किल है। यदि इतने पार्षदों का एक पक्ष में होने की उम्मीद होती तो शायद पार्षद सीधे बोर्ड की बैठक में ही पहुंचते।
25 पार्षद वापस आए

अविश्वास प्रस्ताव पेश करने से पहले करीब 30 दिसम्बर को ही काफी पार्षदों की बाड़बंदी हो गई थी। निर्दलीय व कांग्रेस के अधिकतर पार्षद एक जगह थे। अधिकतर 25 पार्षद बुधवार देर शाम तक अलवर लौट आए हैं। माना ये जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए 38 पार्षदों का होना जरूरी है लेकिन एक पक्ष में इतनी संख्या हो नही ंपा रही थी। भाजपा ने भी अपने पार्षदों को गुजरात में ले जाकर बाड़े में बंद कर दिया जिसके कारण पार्षदों को तोडऩे की संभावना भी खत्म होती गई। अभी भी कुछ पार्षदों का कहना है कि बोर्ड की बैठक तक इन्तजार करें। सब कुछ ठीक है। अविश्वास प्रस्ताव पारित हो सकता है।
सभापति का एक ही जवाब उनके पास पर्याप्त पार्षद

उधर, सभापति अशोक खन्ना का शुरू से एक ही जवाब मिल रहा है कि उनके पास जरूरत के अनुसार पर्याप्त पार्षद हैं। जिसके कारण कोई चिंता वाली बात नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव के लिए केवल 13 पार्षदों की जरूरत है। जबकि उनके साथ भाजपा के अधिकतर पार्षद हैं।
बाकी पार्षद 17 के बाद ही आएंगे

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा के पार्षद एक जगह हैं। वे अधिकतर बोर्ड की बैठक के दिन ही आएंगे। उनका बोर्ड की बैठक में आना मुश्किल लग रहा है। यदि 13 से अधिक पार्षद बोर्ड की बैठक में नहीं पहुंचे तो अविश्वास प्रस्ताव खारित माना जाएगा। इसके साथ ही अविश्वास की पूरी प्रक्रिया यहीं खत्म हो जाएगी।
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