शहर के तिजारा फाटक ओवरब्रिज पर 11 जनवरी की रात करीब 8 बजे 15 वर्षीय मूक बधिर बालिका लहूलुहान हालत में पड़ी मिली थी। जिसके गुप्तांगों से खून बह रहा था। मामले में शुरुआत में पुलिस अधिकारियों ने गैंगरेप की आशंका जताई थी, लेकिन 72 घंटे बाद मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए बलात्कार की बात से इनकार कर दिया। इस प्रकरण को लेकर पूरे देशभर में बवाल मचा हुआ है। घटना और सरकार व पुलिस की कार्यप्रणाली के विरोध में अलर सहित जगह जगह आंदोलन हो रहे हैं।
राज्य सरकार इस मामले को सीबीआई को सौंपने की घोषणा कर चुकी है। मामले में शुक्रवार को अलवर जिला प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर शक और गहरा गया है। मामले में सीबीआई के आने से पहले तिजारा फाटक ओवरब्रिज के ऊपर नगर परिषद ठेकेदार की ओर से सफाई करा दी गई। सफाई भी ऐसी कराई गई कि पूरे घटनास्थल को साफ कर मौके से सबूत ही मिटा दिए गए हैं। तिजारा फाटक ओवरब्रिज पर अब न खून के निशान और न ही मिट्टी-पत्थर आदि नजर आ रहे हैं। ओवरब्रिज की पूरी सडक़ एकदम साफ नजर आ रही है।
पुलिस ने घटनास्थल को नहीं रखा सुरक्षित जबदस्त तूल पकड़ चुके मूक बधिर बालिका प्रकरण में अलवर पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। घटना को 11 दिन हो चुके हैं, लेकिन पुलिस ने घटनास्थल को सुरक्षित रखने के लिए कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किए। पुलिस की इस लापरवाही के कारण तिजारा फाटक ओवरब्रिज की सफाई करा घटनास्थल के सबूत ही मिटा दिए गए हैं। जबकि अलवर के बहुचर्चित मीनार मामले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अलवर पुलिस की ओर से कई साल तक अग्रसेन ओवरब्रिज पर पुलिस की गाड़ी खड़ी कर अस्थाई चौकी बनाए रखी थी।