एक जून से प्रदेश के सभी एसपी कार्यालयों में एफआईआर दर्ज करने की व्यवस्था शुरू कर दी गई। अलवर जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के कमरा संख्या-27 में ये स्पेशल सेल स्थापित की गई है। जिसका प्रभारी इंस्पेक्टर राजकुमार शर्मा को लगाया गया है। इंस्पेक्टर राजकुमार शर्मा के पास मानव तस्करी विरोधी यूनिट का भी चार्ज है। ऐसे में वे एसपी कार्यालय की स्पेशल सेल में न बैठकर यहां से करीब 5 किलोमीटर दूर मोती डूंगरी स्थित मानव तस्करी विरोधी यूनिट कार्यालय में ही
बैठते हैं।
आईडी प्रभारी की, काम कोई और कर रहा अलवर जिले में भी कहने को तो इंस्पेक्टर को प्रभारी के रूप में लगाया हुआ है। लेकिन काम सब इंस्पेक्टर से चलाया जा रहा है। यहां सब इंस्पेक्टर महेश तिवाड़ी, एएसआई विजय कुमार, हैडकांस्टेबल मानसिंह, कांस्टेबल कैलाश व रामनिवास और महिला कांस्टेबल शारदा लगाया गया है। ये स्टाफ ही सेल में एफआईआर दर्ज करने से सम्बन्धित पूरा कामकाज देख रहा है। पुलिस की सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने के लिए सेल के प्रभारी राजकुमार शर्मा की सिर्फ आईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है
बात डीएसपी की और काम चला रहे सब इंस्पेक्टर से पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में एफआईआर दर्ज करने के लिए स्थापित स्पेशल सेल में सरकार ने डीएसपी स्तर के प्रभारी अधिकारी लगाने की घोषणा की थी, लेकिन फिलहाल कहीं भी डीएसपी को प्रभारी नहीं लगाया है। इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर को प्रभारी लगाकर काम चलाया जा रहा है।
प्रभारी का मॉनिटरिंग का काम एसपी कार्यालय में आने वाले परिवादियों की शिकायत पर एसपी या एएसपी द्वारा एफआईआर दर्ज करने आदेश दिए जाते हैं। सेल के प्रभारी का मॉनिटरिंग का काम है कि एफआईआर दर्ज हुई या नहीं। वह कहीं भी बैठे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
परिस देशमुख, जिला पुलिस अधीक्षक, अलवर।