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अलवर नगर परिषद चुनाव में आखिर पीछे क्यों हटी कांग्रेस?

नगर परिषद अलवर के चुनाव में अपेक्षित सीट नहीं मिल पाने से कांग्रेस बोर्ड बनाने में कदम पीछे खींच सकती है। हालांकि पार्टी नेताओं का दावा है कि उनके पास बोर्ड बनाने के लिए बहुमत है और वह गुरुवार को चेयरमैन पद के लिए अपना प्रत्याशी भी उतारेगी।

अलवरNov 20, 2019 / 11:49 pm

Prem Pathak

अलवर नगर परिषद चुनाव में आखिर पीछे क्यों हटी कांग्रेस?

अलवर नगर परिषद चुनाव में आखिर पीछे क्यों हटी कांग्रेस?

अलवर. नगर परिषद अलवर के चुनाव में अपेक्षित सीट नहीं मिल पाने से कांग्रेस बोर्ड बनाने में कदम पीछे खींच सकती है। हालांकि पार्टी नेताओं का दावा है कि उनके पास बोर्ड बनाने के लिए बहुमत है और वह गुरुवार को चेयरमैन पद के लिए अपना प्रत्याशी भी उतारेगी। वहीं पार्टी सूत्रों का कहना है कि अलवर में बहुमत का जादुई आंकड़ा कांग्रेस से दूर है, इस कारण संभवत: वह चेयरमैन पद के लिए प्रत्याशी उतारने के बाद भी पीछे हटने को मजबूर हो सकती है।
अलवर नगर परिषद चुनाव में कांग्रेस को 19 सीटें मिली है, यह आंकड़ा बोर्ड बनाने के लिए बहुमत से 14 दूर है। यानि कांग्रेस को अलवर में बोर्ड बनाने के लिए कम से कम 14 अन्य पार्षदों का समर्थन जुटाना जरूरी होगा। सूत्रों का कहना है कि अलवर में 19 निर्दलीय पार्षद जीते हैं, लेकिन निर्दलीयों का समर्थन जुटाने के मामले में भाजपा कांग्रेस से आगे रही है। इस कारण कांग्रेस के लिए बहुमत जुटाना आसान नहीं होगा।
दावेदारी तो जता रहे, लेकिन गंभीर कम

अलवर में चेयरमैन पद को लेकर कांग्रेस में कई पार्षद अपना दावा तो जता रहे हैं, लेकिन इन दावों में दम कम ही दिखाई दिया। इसी कारण पार्टी के रणनीतिकार भी अलवर के बजाय अपना सारा ध्यान भिवाड़ी व थानागाजी निकायों में बोर्ड बनाने पर लगाए हुए हैं। वैसे अलवर के कांग्रेस व कुछ निर्दलीय पार्षदों की पार्टी ने कई दिनों से टहला के पास बाड़ाबंदी कर रही थी, बुधवार को इन पार्षदों को जयपुर की ओर भेजने की चर्चा है। लेकिन पार्षदों की यह बाड़ाबंदी भी चेयरमैन पद के चुनाव को लेकर कम तथा अपने पार्षदों की टूट बचाने के लिए ज्यादा दिखाई पड़ रही है।
विपक्षी खेमें की टूट पर नजर

कांग्रेस की बोर्ड बनाने की उम्मीद अब भाजपा खेमे में पार्षदों की किसी भी प्रकार की टूट पर है। कांग्रेस को उम्मीद है कि भाजपा में बहुमत के बावजूद चेयरमैन पद के प्रत्याशी चयन को लेकर पार्षदों में फूट पड़ सकती है। ऐसा होने पर कांग्रेस भाजपा खेमे के टूटे पार्षदों के साथ मिलकर भाजपा का खेल बिगाड़ सकती है और अपना चेयरमैन भी बनवाने का प्रयास कर सकती है।

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