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अलवर में थी चार पर नजर, दो अब कांग्रेस के साथ, दो पर विश्वास

locationअलवरPublished: Jul 13, 2020 11:22:47 pm

Submitted by:

Prem Pathak

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिले में 5 सीटें मिली, दो बसपा व दो आए थे निर्दलीय

अलवर में थी चार पर नजर, दो अब कांग्रेस के साथ, दो पर विश्वास

अलवर में थी चार पर नजर, दो अब कांग्रेस के साथ, दो पर विश्वास

अलवर. विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के दिन से ही अलवर जिले की राजनीति में चार विधायकों पर खास नजर रही। इनमें दो बसपा से जीते विधायक और दो निर्दलीय शामिल रहे। इनमें दो विधायक अब कांग्रेस के साथ हैं, वहीं दो पर कांग्रेस को नैया पार लगवाने का विश्वास है।
विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद प्रदेश में बने नए राजनीति समीकरणों में अलवर के इन चार विधायकों का बड़ा रोल रहा। जिले के दोनों निर्दलीय विधायकों ने सरकार गठन के दौरान ही कांग्रेस को समर्थन दे दिया। वहीं कुछ महीनों बाद बसपा के दोनों विधायकों ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया। यानि चारों विधायक कांग्रेस के खेमे में चले गए। इन चारों विधायकों ने सोमवार को भी कांग्रेस की सियासी हलचल में बड़ी भूमिका निभाई। बसपा से कांग्रेस में आए दोनों विधायकों और दोनों निर्दलीयों ने प्रदेश की कांग्रेस राजनीति में अचानक हुए घटनाक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का साथ देकर बड़ी भूमिका निभाई।
इन चार विधायकों पर रही थी नजर

जिले के तिजारा विधानसभा क्षेत्र से बसपा से जीते विधायक संदीप यादव, बसपा से ही किशनगढ़बास से जीते विधायक दीपचंद खैरिया, बहरोड़ से जीते निर्दलीय विधायक बलजीत यादव व थानागाजी से निर्दलीय जीते कांति मीणा पर शुरू से ही राजनीतिक दलों की नजर थी। विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में अशोक गहलोत के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार को जिले के दोनों निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दिया। वहीं चुनाव के कुछ महीनों बाद बसपा विधायक संदीप यादव व दीपचंद खैरिया ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली।
मुख्यमंत्री गहलोत में जताया विश्वासप्रदेश की कांग्रेस में इन दिनों चल रही सियासी हलचल में अलवर जिले के विधायकों का बड़ा रोल रहा है। जिले में कांग्रेस के 5, बसपा से कांग्रेस में आए 2 तथा निर्दलीय दो विधायक खुलकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में रहे हैं। कांग्रेस के 7 व दोनों निर्दलीय विधायकों का कहना है कि उन्हें मुख्यमंत्री गहलोत में पूर्ण विश्वास है। इस कारण गहलोत के प्रति समर्थन जताया है। अलवर जिले के 9 विधायकों का साथ मिलने से मुख्यमंत्री गहलोत को संख्या बल जुटाना आसान हो गया। पायलट रहे खाली हाथ
अलवर जिले से उप मुख्यमंत्री व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट विधायकों का समर्थन जुटाने के मामले में खाली हाथ रहे। यहां कांग्रेस के सात व दो निर्दलीय विधायकों में फिलहाल किसी भी विधायक का समर्थन जुटाने में विफल रहे। कांग्रेस के मौजूदा सियासी घटनाक्रम में अलवर जिले के विधायकों का समर्थन जुटाने में मुख्यमंत्री गहलोत आगे रहे। ऐसा नहीं कि पायलट का पूर्व में अलवर से ज्यादा जुड़ाव नहीं रहा हो। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और फिर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहते पायलट कई अवसरों पर अलवर आ चुके हैं। लोकसभा व विधानसभा चुनाव के दौरान भी वे कई सभाओं को सम्बोधित कर चुके हैं। इसके अलावा भी कई अन्य मौकों पर भी अलवर आ चुके हैं। अलवर आगमन के दौरान कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने पायलट का खूब आव खातिर की, लेकिन समर्थन की जरूरत पडऩे पर वे खाली हाथ ही रहे।
मंत्री जूली विधायकों को लेकर पहुंचेजयपुर में चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच श्रम राज्य मंत्री टीकाराम जूली सोमवार सुबह विधायक संदीप यादव सहित कई विधायकों को अपने साथ लेकर मुख्यमंत्री निवास स्थित विधायक दल की बैठक में लेकर पहुंचे। श्रम राज्य मंत्री के साथ जाने वाले विधायकों में ज्यादातर बसपा से कांग्रेस में आने वाले थे। बैठक के बाद बस में विधायकों को ले जाते समय भी जूली मुख्यमंत्री गहलोत के साथ ही रहे और उसी बस से रिसोर्ट पहुंचे। इसके अलावा जिले के अन्य विधायकों को एकजुट रखने में भी उनकी खास भूमिका रही। विधायक बोले, हम गहलोत के साथअलवर जिले से कांग्रेस के पांच विधायक शुरू से ही गहलोत खेमे में रहे हैं। वहीं बसपा छोड़ कर कांग्रेस में आए दोनों विधायक भी गहलोत के विश्वासपात्रों में माने जाते हैं। वहीं थानागाजी व बहरोड़ से निर्दलीय विधायक भी समर्थन देने के समय से ही मुख्यमंत्री गहलोत के साथ रहे हैं। कांग्रेस के सियासी घटनाक्रम के बीच जिले के सभी 9 विधायकों ने एक स्वर में कहा कि हम मुख्यमंत्री गहलोत के साथ हैं। इन विधायकों का कहना था कि राजस्थान में गहलोत सरकार स्थिर है और उसे किसी प्रकार का खतरा नहीं है। मुख्यमंत्री गहलोत के पास बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या बल है। राठौड़ भी हैं गहलोत के खास
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी हैं राठौड़ क्षेत्र के बिलाली निवासी धर्मेंद्र सिंह राठौड़। वे पिछले 15 वर्षों से मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी हैं। राठौड़ को गहलोत का विश्वसनीय माना जाता है, 2003 में सरकारी नौकरी करने के बाद राठौड़ बानसूर विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुके हैं, मुख्यमंत्री के करीबी होने के कारण सोमवार को उनके जयपुर स्थित निवास पर इनकम टैक्स की ओर से छापामारा गया। मुख्यमंत्री के करीबी होने का फायदा राठौड़ को 2008 की कांग्रेस सरकार में मिला, जब गहलोत ने उन्हें राजस्थान राज्य बीज निगम का अध्यक्ष बनाया।
गहलोत के साथ है और रहेंगे

अशोक गहलोत सरकार पांच साल पूर्ण रूप से सत्ता में रहेगी। जिसमें बसपा से कांग्रेेस में आए छह विधायक सहित निर्दलीय विधायक भी शामिल है। हम सभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ है और साथ रहेंगे।
संदीप यादव
विधायक, तिजारा।

सरकार को कोई खतरा नहीं

राज्य में गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं है। कांग्रेस पार्टी एकजुट है और सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है। जिले के कांग्रेस व निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री गहलोत के साथ हैं और आगे भी रहेंगे। सरकार जनहित में कार्य रही है। इस कारण सरकार को जनता का पूरा समर्थन है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कोरोना संक्रमण से अच्छी तरह मुकाबला किया जा रहा है। साथ ही विकास में भी पीछे नहीं है।
टीकाराम जूली

श्रम राज्य मंत्री, राज्य सरकार

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