ये इंजेक्शन भी तभी काम आ सकेंगे जब मरीजों की पहले 6 तरह की जांच की व्यवस्था हो। जिसकी बाजार में करीब 10 हजार रुपए कीमत है। सरकार ने ये जांच व इंजेक्शन नि:शुल्क उपलब्ध कराने को तैयार है लेकिन, सरकार से मंजूरी नहीं ले पाए हैं। तभी तो अब तक न जांच शुरू हो सकी न इंजेक्शन लगने लगे हैं। जिसके अभाव में न जाने कितनों की जान जा चुकी है और आगे कितनों की जान बचाने में मुश्किलें आने वाली हैं। इतना अधिक गंभीर विषय होने के बावजूद विधायक इसको लेकर सरकार पर कोई दबाव भी नहीं बना रहे।
सरकार चाहे तो तुरंत जांच शुरू हो जाए सरकार चाहे तो अलवर जिले में कोरोना के अधिक गंभीर मरीजों के इलाज के लिए 10 हजार रुपए में होने वाली छह तरह की जांच तुरंत शुरू कर सकती है। केवल इतना करना है कि निजी लैब को टेण्डर देना है। जैसा मेडिकल कॉलेज वाले जिलों में हो रहा है। एक तरह से जनता को मेडिकल कॉलज चालू नहीं होने का खमियाजा मौत के रूप में चुकाना पड़ रहा है। इसके लिए भी जन प्रतिनिधि अधिक जिम्मेदार है। जो केन्द्र व राज्य सरकार में भागीदार हैं।
जांचों के बाद ही लग सकेगा 35 हजार का इंजेक्शन
जांचों के बाद ही लग सकेगा 35 हजार का इंजेक्शन
इन जांचों के बाद रिपोर्ट पूरी तरह सही मिलती है उन मरीजों को ही 35 हजार रुपए कीमत का टॉक्लिजुमैब इंजेक्शन लगाया जा सकता है। जो बहुत कम इम्यूनिटी वाले मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को काफी बढ़ा देता हैं। जिसके कारण बहुत गंभीर हालत में पहुंच चुके मरीज भी रिकवर हो जाते हैं। जिसके अब तक के परिणाम बेहतर रहे हैं। रेमडिसिवियर 30 इंजेक्शन लगा चुके सरकार ने रेमडिसिवियर के 30 इंजेक्शन भी नि:शुल्क भेजे हैं। जिनका अच्छा परिणाम मिला है। ये इंजेक्शन लगाए जा चुके हैं। नए इंजेक्शन की मांग की है। इसी तरह टॉक्लीजुमैब इंजेक्शन से पहले 6 तरह की जांच कराने के लिए नोटशीट चला दी है। अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है।
जरूरी हैं जांच कराना अधिक गंभीर मरीजों के इलाज के लिए टॉक्लिजुमैब इंजेक्शन से अच्छे परिणाम हैं। यहां इस इंजेक्शन के लगाने से पहले होने वाली जांच की सुविधा नहीं है। जिसके लिए सरकार को लिखा जा चुका है। सुविधा मिलने पर मरीजों को लाभ मिल सकेगा। डॉ. अशोक महावर, कोविड स्पेशलिस्ट चिकित्सक, अलवर