आए दिन हो रही छेडछाड़ व बलात्कार जैसी घटनाओं के कारण यहां का माहौल अधिक डराने लगा है। रोड पर अवैध कब्जे हैं। मांस, मछली, अण्डे की दुकानें फुटपाथ पर लगी हैं। अवैध शराब की बिक्री ठेलों पर होती है। रोड से आते-जाते लोगों से शराबी भिड़ जाते हैं।
लापरवाही के 3 स्तर 1. नगर परिषद अतिक्रमण नहीं हटाती – स्टेशन के सामने नगर परिषद की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई आधी अधूरी होती है। कुछ देर बाद वापस वहीं ठेले व खोखे लग जाते हैं। पक्की दुकानों के बाहर से टीन शेड नहीं हटाया जाता। मांस-मछली दुकानदारों पर कार्रवाई नहीं होती है।
2. यातायात पुलिस गायब : – ट्रैफिक को सुचारू रखने की जिम्मेदारी यातायात पुलिस की है। यहां कुछ दिन पुलिसकर्मी लगाया गया। फिर गायब हो गया। जिसके कारण वापस रोड पर वाहनों का जमावड़ा रहने लगा है। एक दर्जन जीप रोड पर खड़ी होती है। ऑटो व रिक्शा आधे रोड को रोक लेते हैं। कोई व्यवस्था नहीं है।
3. रेलवे की सख्ती नहीं : – रेलवे जंक्शन के सामने अव्यवस्था है। रोड पर अतिक्रमण, कब्जे, जाम है। रेलवे की ओर से सख्ती नहीं है। जिम्मेदारी तय नहीं होने के कारण कार्रवाई के एक दिन बाद ही पुराना हाल हो जाता है।
60 फीट रोड पर कब्जा रेलवे स्टेशन के बाहर करीब 60 फीट रोड पर अवैध कब्जा है। दोनों तरफ दुकानों के आगे की जगह पर ठेले, वाहन और रिक्शे खड़े होते हैं। स्टेशन से सामान्य अस्पताल की तरफ जाने वाले रोड पर अधिक कब्जा है।