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अलवर में दुष्कर्म के आरोपित को ऐसी सजा देने की मांग कर रहे अलवर के लोग, जानिए आप भी

locationअलवरPublished: May 12, 2018 10:36:39 am

Submitted by:

Prem Pathak

अलवर के लक्ष्मणगढ़ में सात माह की अबोध मासूम से दुष्कर्म के आरोपित को मौत की सजा देने की मांग तेज होने लगी है।

Alwar Rape Case : Public demanding hardcore punishment to rape accused
अलवर. जिले के लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र में सात माह की अबोध बालिका से दुष्कर्म की घटना को जिसने भी सुना और पढ़ा वह हैरान रह गया। दुष्कर्म अपराध की यह हालत तो तब है जबकि केन्द्र सरकार ने गत दिनों ही 12 वर्ष से कम उम्र की बालिका के साथ दुष्कर्म मामले में फांसी तक की सजा सुनाने का प्रावधान किया है। इसके बाद भी अपराधियों की विकृत सोच में बदलाव नहीं आ पाया है। जिले में अबोध बालिका से साथ हुए इस कृत्य ने पूरे जिले को हिलाकर रख दिया है। सभी की जुबान पर एक ही बात है कि ऐसे अपराधी को फांसी की सजा मिलनी चाहिए।
राजस्थान पत्रिका कार्यालय में गुरुवार को ‘कैसे रुके मासूमों के साथ दुष्कर्म ’ विषय पर हुए टॉक शो में समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधियों ने अपनी बेबाक राय जाहिर की। टॉक शो में वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश में बच्चियों के साथ दुष्कर्म के करीब डेढ़ हजार मामले दर्ज होते हैं। राजस्थान विधानसभा में 12 साल तक की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा का कानून पास हो गया है। अब तक धारा 376 के तहत 12 साल तक की बच्ची से दुष्कर्म करने पर उसे फांसी या 14 साल की जेल हो सकती है। जेल की अवधि बढ़ाई जा सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता था। इस विषय पर विशेषज्ञों ने अपनी प्रतिक्रिया इस प्रकार व्यक्त की।
दुष्कर्म को लेकर कानून सख्त बना दिया गया है लेकिन इससे अधिक समाज की जागरुकता की आवश्यकता है। किसी भी पीडि़तों के परिजनों को ऐसी घटनाओं के बाद परेशान नहीं होना पड़े, ऐसे इंतजाम होने चाहिए। कानून की पालना तो सख्ती से होना चाहिए।
प्रमोद आर्य, अध्यक्ष रोटरी क्लब।
जब भी कोई दुष्कर्म होता है तो समाज में खूब बहस होती है। फिर कोई घटना होती है। हम हर बार फिर वहीं खड़े होते हैं। इसके लिए जिम्मेवार कौन है, इस पर सभी को मंथन करना होगा। सबसे पहले तो अपराधियों को कठोर से कठोर सजा मिले जिसके बाद ही स्थिति में सुधार हो सकता है।
दीपक शर्मा, संयोजक हैल्पिंग हैंड्स
विकृत मानसिकता के चलते इस तरह के घिनौने काम होते हैं। ऐसे लोगों को माफी भी नहीं मिलनी चाहिए। इसके लिए कानून तो सख्त बन गया है लेकिन समाज को भी ऐसे लोगों पर नजर रखनी चाहिए। मासूम बेटी के साथ जो बोलना भी नहीं जानती, उनके साथ ऐसा हुआ है।
राजेश भारद्वाज, शिक्षाविद्
हमारा देश तो नारी की पूजा करता रहा है। इस देश की समृद्ध विरासत को क्या हो गया है। बेटियों के साथ दुष्कर्म के मामले होते हैं तो इसके लिए अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर जागरुक रहे। माता-पिता और सभी परिजन अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर सचेत रहे।
संगीता गौड़, शिक्षाविद् व समाजसेविका।
दुष्कर्म के मामलों को रोकने के लिए आवश्यक है कि 12 वर्ष की बालिका के साथ होने वाले दुष्कर्म पर फांसी की सजा के प्रावधान का प्रचार प्रसार किया जाए। कानून ने आसाराम को सजा सुनाकर एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जो अपराधियों के लिए एक सबक है, इसके बावजूद दुष्कर्म के मामले में कठोर सजा मिलनी चाहिए।
-गौरव शर्मा, एडवोकेट।
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