सडक़ें बिना बारिश के आए दिन धंस रही हैं। जिससे अनुमान लगा सकते हैं कि किस तरह बनी है। खासकर सीवरेज व पानी की लाइन डालने के बाद बनाई गई सडक़ों में पूरी तरह लीपापोती हुई है। तभी शहर में अधिकतर जगहों पर सडक़ें वापस टूटने लगी हैं। जिससे आमजन की मुश्किल बढ़ती जा रही हैं।
बारिश में टूटी, अब मिट्टी उड़ रही बारिश में सडक़ें धंसी। शहर में काला कुआं, हसन खां, स्कीम दो, स्कीम एक, शंाति कुंज, स्कीम आठ, विवेकानन्द नगर सहित शहर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है जहां सीवर व पानी की लाइनें वाली सडक़ अच्छी खासी बची हों। पिछले कुछ दिनों से बारिश रुक गई तो मिट्टी धुआं की तरह उड़ रही है। जिससे बुजुर्ग व बीमार लोगों की मुश्किल बढ़ गई है। खासकर एलर्जी वाले मरीज घरों से बाहर निकलने में कतरा रहे हैं।
आगे फिर बारिश में बहेंगी सडक़ अब मानसून की बारिश में फिर से शहर की सडक़ों का धंसना व टूटना शुरू हो जाएगा। एक मोटे अनुमान के अनुसार पिछली बारिश में शहर में 50 किलोमीटर से अधिक सडक़ें बीच-बीच में धंस गई या उधड़ गई। जबकि आगे नियमित बारिश होगी तो जगह-जगह गड्ड्े व रोडिय़ां बिखरी मिलेंगी। लाइनें डालने के बाद सडक़ों को तय शर्तों के अनुसार कहीं नहीं बनाया। मॉनिटरिंग करने वाले जिम्मेदार विभागों के अधिकारी भी चुप रहे। जिसका खमियाजा अब जनता ही भुगत रही है। आरयूआईडीपी तो सीवरेज लाइन डालने का प्रोजेक्ट पूरा करके जा चुकी है। अब उनकी बनाई सडक़ों को शहर की सरकार व यूआईटी ही संभाल रही है।