लेकिन अलवर जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश सफल नहीं हो पा रही है अलवर के पर्यटक स्थल इतने बदहाल हैं कि एक बार यहां आने के बाद पर्यटक दोबारा आना ही नहीं चाहते।
सागर के पानी में तैर रही है बोतल और प्लास्टिक अलवर जिला कलेक्ट्रेट के सबसे नजदीकी सागर जलाशय के पानी में इतनी गंदगी और बदबू है कि पर्यटक यहां पास से गुजर भी नहीं सकते। सागर के पानी में कभी फव्वारे चलते थे जो पिछले काफी समय से बंद पड़े हुए हैं। पानी में तैरती प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन इतनी अधिक है कि पानी में रहने वाले जीवो के लिए परेशानी बन गई है।
टूटे हुए झरोखों से पर्यटकों के साथ हो सकता है हादसा इसी तरह से मूसी महारानी की छतरी पर लगी प्राचीन जालियां जगह-जगह से टूट गई है। जिसके चलते पर्यटकों के साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।। इतना ही नहीं इस इमारत की ऊपरी मंजिल पर जगह जगह पर पौधे उडऩे लगे हैं। जिसके चलते यह इमारत खराब हो रही है। यहां रात में इतना अंधेरा रहता है कि यहां आना ही मुश्किल है।
टूटी हुई जालियां और खराब फव्वारे है पहचान इससे भी ज्यादा बदतर हालत है अलवर सिटी पैलेस स्थित प्राचीन चौक का। जहां जिला प्रशासन के आला अधिकारी सुबह से शाम तक निकलते हैं लेकिन कभी इसकी बदहाली पर ध्यान नहीं दिया।
चौक में लगे फव्वारे खराब हो चुके हैं । चौक की ऐतिहासिक जालियां एक तरफ से पूरी तरह से हट गई है। बारिश के दौरान इस चौक में पानी भर जाता है जालिया ना होने से बच्चों के साथ कोई हादसा हो सकता है।