अलवर

अलवर से एक कविता रोज: ‘आगे बढ़ना है’ लेखिका- स्मिता गुप्ता अलवर

” आगे बढ़ना है जिंदगी में तो अडिग होकर चलो, किस्मत को ठोकर मारकर दुनिया से हटकर चलो,परिपाटी पर तो सभी चलते आए हैं,कुछ करना है तो जिंदगी में इतिहास पलट कर चलो।

अलवरSep 22, 2020 / 04:31 pm

Lubhavan

अलवर से एक कविता रोज: ‘आगे बढ़ना है’ लेखिका- स्मिता गुप्ता अलवर

आगे बढ़ना है
” आगे बढ़ना है जिंदगी में तो अडिग होकर चलो, किस्मत को ठोकर मारकर दुनिया से हटकर चलो,
परिपाटी पर तो सभी चलते आए हैं,
कुछ करना है तो जिंदगी में इतिहास पलट कर चलो।
बिना काम के मुकाम कैसा,
बिना मेहनत के दाम कैसा,
जब तक पहुंचा ना सको मंजिल तक,
तब तक रहा में आराम कैसा।

अर्जुन जैसा निशाना रखो,
मन में ना कोई बहाना रखो,
लक्ष्य सामने है उसी में ठिकाना रखो।
सोचो मत साकार करो,
अपने कर्मों से प्यार करो।।
निश्चय ही मिलेगा मेहनत का फल किसी का इंतजार करो।।

जो राह में अकेले चले थे, आज उनके पीछे मेले हैं,
और जो करते रहे किस्मत का इंतजार,
उनकी जिंदगी में आज भी झमेले हैं।।
स्मिता गुप्ता, निवासी, शिवाजी पार्क, अलवर

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