आजाद घूम रहे हैं कातिल कानूनी गलियारों में जाति, मजहब, रसूखदारी खूब दिखाई पड़ता है
मानवता के चेहरे पर कालिख दिखाई पड़ता है बन्द करो कोरे वादे,मजहबी दुकानों के पाकवन
खूब सहा है अब तो रोको माँ, बेटियों का अपमान
पवन कुमार सैनी
शिक्षक एवं साहित्यकार
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