“माँ हूँ मैं बेटी, साथ मे अर्द्धागनी भी,
सात फेरे लिए है मैंने , सात जन्म साथ निभाने को,
बेटी झुकता नही संसार मेरे कदमों मे,
झुकावता है मेरा कर्तव्य ,इस जहां को मेरे कदमो मे।।
तुम्हें चोट लगे तो मैं कैसे खुश रह सकती हूं??
क्या भला कभी शक्कर मिठास से अलग हो सकती है??
वही शक्कर हो तुम मेरी, जिसकी रग- रग मे मिठास है मेरी।।
जैसे मछली पानी से अलग होने पर सांसो से दूर हो जाती है।।
ऐसी ही जीवनसंगिनी हूँ मैं तुम्हारे पिता की।।
नाम पिता का हो या मेरा,
जीवन के हम दो अद्धभुत पहिये है,
जिन्हें साथ- साथ चलना है,
दुर्गम परिस्थितियों को मै सरलता से हल कर जाती हूँ।
तुम्हारे पिता मेरा साया बन साथ निभाते है।।
बेटी जो अधिकार तुमने आज मुझे दिये,
वो पिता के प्रेम से मुझे प्राप्त हुए।।
उस पिता को तुम वंदन करना।
उनकी छाँव को हमेशा याद रखना।
पिता है तो मेरा अस्तित्व है।
वरना मैं रज कण मे लिपटी धूल हूँ,
जिसका कोई ठिकाना नही।।”
सात फेरे लिए है मैंने , सात जन्म साथ निभाने को,
बेटी झुकता नही संसार मेरे कदमों मे,
झुकावता है मेरा कर्तव्य ,इस जहां को मेरे कदमो मे।।
तुम्हें चोट लगे तो मैं कैसे खुश रह सकती हूं??
क्या भला कभी शक्कर मिठास से अलग हो सकती है??
वही शक्कर हो तुम मेरी, जिसकी रग- रग मे मिठास है मेरी।।
जैसे मछली पानी से अलग होने पर सांसो से दूर हो जाती है।।
ऐसी ही जीवनसंगिनी हूँ मैं तुम्हारे पिता की।।
नाम पिता का हो या मेरा,
जीवन के हम दो अद्धभुत पहिये है,
जिन्हें साथ- साथ चलना है,
दुर्गम परिस्थितियों को मै सरलता से हल कर जाती हूँ।
तुम्हारे पिता मेरा साया बन साथ निभाते है।।
बेटी जो अधिकार तुमने आज मुझे दिये,
वो पिता के प्रेम से मुझे प्राप्त हुए।।
उस पिता को तुम वंदन करना।
उनकी छाँव को हमेशा याद रखना।
पिता है तो मेरा अस्तित्व है।
वरना मैं रज कण मे लिपटी धूल हूँ,
जिसका कोई ठिकाना नही।।”
माँ के शब्दों को सुन भाव विभोर होकर बेटी अभिव्यक्ति करती है।।
“धन्य हूँ मैं आप जैसे माता-पिता को मैंने पाया।
आप दोनों के समर्पण ने मुझे बहुत कुछ सिखाया।।
इस सीख को आत्मसात करती हूँ।।
आज मैं किसी की बेटी तो कल किसी की भार्या बनती हूँ।।
आप दोनों के विचारों को मैं अपनाउंगी।
निश्चित ही जीवन मे सफलता पाऊंगी”।।।।
“धन्य हूँ मैं आप जैसे माता-पिता को मैंने पाया।
आप दोनों के समर्पण ने मुझे बहुत कुछ सिखाया।।
इस सीख को आत्मसात करती हूँ।।
आज मैं किसी की बेटी तो कल किसी की भार्या बनती हूँ।।
आप दोनों के विचारों को मैं अपनाउंगी।
निश्चित ही जीवन मे सफलता पाऊंगी”।।।।
सुमन गुप्ता
अलवर
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