और समाज में हो रहे अत्याचार,कुरीतियों, एवं शोषण के खिलाफ विचार विमर्श और विरोध करना सिखाया।
शब्दों से खेलना व बदलते जमाने के साथ चलना सिखाया।
गौर कीजिए वो शिक्षक ही तो है जिन्होंने हर डर व मुश्किल का सामना करना सिखाया।
विपरीत परिस्थितियों में भी हंसना सिखाया।
शिखर पर पहुंच कर भी जमीन से जुड़ा रहना सिखाया आखिर एक शिक्षक ही तो है जिन्होंने हमें दर्पण की तरह स्वयं से अवगत कराया।
छात्र ,दिल्ली विश्वविद्यालय