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अलवर से एक कविता रोज: गुरु दर्पण- लेखक हर्ष सैनी अलवर

locationअलवरPublished: Sep 19, 2020 06:39:56 pm

Submitted by:

Lubhavan

गुरु दर्पण
जूझते हाथों को अक्षरों की आकृति दी ,दबी हुई भावनाओं को एक बुलंद आवाज दी,जब पैर डगमगाए तो एक राह दिखाई व दिल को हौसला दिया, जनाब वो आखिर शिक्षक ही तो हैं जिन्होंने एक बच्चे में जोश, उमंग व कुछ कर गुजरने का साहस भर दिया।

Alwar Se Ek Kavita Roj Darpan By Harsh Saini Alwar

अलवर से एक कविता रोज: गुरु दर्पण- लेखक हर्ष सैनी अलवर

जूझते हाथों को अक्षरों की आकृति दी ,
दबी हुई भावनाओं को एक बुलंद आवाज दी,
जब पैर डगमगाए तो एक राह दिखाई व दिल को हौसला दिया,
जनाब वो आखिर शिक्षक ही तो हैं जिन्होंने एक बच्चे में जोश, उमंग व कुछ कर गुजरने का साहस भर दिया।
छोटी-छोटी गलतियों पर गोला लगाकर बताया,।
और समाज में हो रहे अत्याचार,कुरीतियों, एवं शोषण के खिलाफ विचार विमर्श और विरोध करना सिखाया।
शब्दों से खेलना व बदलते जमाने के साथ चलना सिखाया।
गौर कीजिए वो शिक्षक ही तो है जिन्होंने हर डर व मुश्किल का सामना करना सिखाया।
तेज दौड़ती जिंदगी में ठहराव का आभास कराया,
विपरीत परिस्थितियों में भी हंसना सिखाया।
शिखर पर पहुंच कर भी जमीन से जुड़ा रहना सिखाया आखिर एक शिक्षक ही तो है जिन्होंने हमें दर्पण की तरह स्वयं से अवगत कराया।
शिक्षक का महत्व क्या है यह चंद पंक्तियों में व्यक्त करना मुश्किल होगा यह वह हस्ती है जिन्हे शब्दों में बयां करना मुश्किल होगा।

हर्ष सैनी (अलवर राजस्थान)
छात्र ,दिल्ली विश्वविद्यालय

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