फांस रही मीनों को ये मोटी व्हेल
अर्जित कर पापों को मिटता न जल्प
बीतते ही जाते यूं कल्पों पर कल्प। आओ हम काटें इस उलझन का जाल
अब न मछेरों से घबराएं ताल
लाएंगे सुराज हम अपना संकल्प
बीतेंगे फिर यूं कल्पों पर कल्प
आप भी भेजें अपनी रचनाएं अगर आपको भी लिखने का शौक है तो पत्रिका बनेगा आपके हुनर का मंच। अपनी कविता, रचना अथवा कहानी को मेल आइडी editor.alwar@epatrika.com अथवा मोबाइल नंबर 9057531600 पर भेज दें। इसके आलावा स्कूली बच्चे अपनी चित्रकारी भी भेज सकते हैं। इन सब के साथ अपना नाम, पता, क्लास अथवा पेशा अवश्य लिखें।