scriptअलवर से एक कविता रोज: इंसानियत जिंदा है या मर गई, लेखिका- अनुराधा तिवारी अलवर | Alwar Se Ek kavita Roj: Insaniyat Zinda Hai Ya Mar Gai | Patrika News
अलवर

अलवर से एक कविता रोज: इंसानियत जिंदा है या मर गई, लेखिका- अनुराधा तिवारी अलवर

इंसानियत जिंदा है या मर गईएक बेज़ुबा की मौत से इंसानियत हमें अलविदा कर गई|8 पुलिसकर्मियों की हत्या से इंसान की बेरहमी उभर गई||बेजुबान जानवर को फांसी पर लटकाने से दरिंदगी निखर गई|

अलवरSep 29, 2020 / 07:28 pm

Lubhavan

Alwar Se Ek kavita Roj: Insaniyat Zinda Hai Ya Mar Gai

अलवर से एक कविता रोज: इंसानियत जिंदा है या मर गई, लेखिका- अनुराधा तिवारी अलवर

इंसानियत जिंदा है या मर गई

एक बेज़ुबा की मौत से इंसानियत हमें अलविदा कर गई|
8 पुलिसकर्मियों की हत्या से इंसान की बेरहमी उभर गई||
बेजुबान जानवर को फांसी पर लटकाने से दरिंदगी निखर गई|

इंसानियत का पता ढूंढते ढूंढते मेरी पूरी उम्र गई|
तब जाकर एहसास हुआ कि इंसानियत तो कब की गुजर गई||
जब डॉक्टर पर थूककर उनके एहसानों का हिसाब हुआ|
तब जाकर बेशर्मी का चेहरा बेनकाब हुआ||
अब यूं ही चलता रहेगा यह दरिंदगी का सिलसिला|
इस कदर मुझे भविष्य के अंधकार का जवाब मिला||

ऐ जिंदगी! अब मुझे तुमसे नहीं है कोई शिकवा और ना ही कोई गिला|
इंसान में इंसानियत को नहीं जाना या फिर इंसानियत ने
इंसान को पहचानने में देर कर दी|
बेगुनाही की सजा पाते पाते इंसानियत ने मेरी आंखें ना उम्मीद से भर दी||
अनुराधा तिवारी
43 नेहरू नगर NEB, अलवर

आप भी भेजें अपनी रचनाएं

अगर आपको भी लिखने का शौक है तो पत्रिका बनेगा आपके हुनर का मंच। अपनी कविता, रचना अथवा कहानी को मेल आइडी editor.alwar@epatrika.com अथवा मोबाइल नंबर 9057531600 पर भेज दें। इसके आलावा स्कूली बच्चे अपनी चित्रकारी भी भेज सकते हैं। इन सब के साथ अपना नाम, पता, क्लास अथवा पेशा अवश्य लिखें।

Home / Alwar / अलवर से एक कविता रोज: इंसानियत जिंदा है या मर गई, लेखिका- अनुराधा तिवारी अलवर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो