अलवर

अलवर से एक कविता रोज: रुकने का नाम नहीं ज़िन्दगी, लेखिका- हिमानी शर्मा अलवर

रुकने का नाम नहीं जिंदगीनिरंतर चलते रहना है
ना हो सामने लक्ष्य अगर तोमार्ग अवरुद्ध सा हो जाता हैमन में जलता उम्मीद का दीपकअंधेरे में रोशनी कहां कर पाता

अलवरSep 30, 2020 / 06:39 pm

Lubhavan

अलवर से एक कविता रोज: रुकने का नाम नहीं ज़िन्दगी, लेखिका- हिमानी शर्मा अलवर

रुकने का नाम नहीं जिंदगी
निरंतर चलते रहना है
ना हो सामने लक्ष्य अगर तो
मार्ग अवरुद्ध सा हो जाता है
मन में जलता उम्मीद का दीपक
अंधेरे में रोशनी कहां कर पाता है

रुकने का नाम नहीं जिंदगी
निरंतर चलते रहना है

हो कर्म पथ पर अग्रसर तू
मन में रखकर लक्ष्य एक
जिस दिन वो मिल जाएगा
जीवन तुम्हारा संवर जाएगा
रुकने का नाम नहीं जिंदगी
निरंतर चलते रहना है

पाकर अपने जीवन को
एक सुनहरे मोड़ पर
खुश होगा अंतर्मन तेरा
अपने सपनों को साकार कर

रुकने का नाम नहीं जिंदगी
निरंतर चलते रहना है।

हिमानी शर्मा (अलवर)

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