scriptअलवर से एक कविता रोज: यह कैसी महामारी है, लेखिका- नीतू गुप्ता | Alwar Se Ek kavita Roj Ye Kaisi Mahamari Hai By Neetu Gupta | Patrika News

अलवर से एक कविता रोज: यह कैसी महामारी है, लेखिका- नीतू गुप्ता

locationअलवरPublished: Oct 13, 2020 05:11:49 pm

Submitted by:

Lubhavan

यह कैसी महामारी है,जो कोरोना का कहर बनकर टूटा है।
प्रकृति भी करवट बदल रही है,सब कुछ बदल रहा है।
माथे पर चिंता की सलवटें,अंजाना डर मन में लिए,

Alwar Se Ek kavita Roj Ye Kaisi Mahamari Hai By Neetu Gupta

अलवर से एक कविता रोज: यह कैसी महामारी है, लेखिका- नीतू गुप्ता

यह कैसी महामारी है

‘यह कैसी महामारी है,
जो कोरोना का कहर बनकर टूटा है।

प्रकृति भी करवट बदल रही है,
सब कुछ बदल रहा है।

माथे पर चिंता की सलवटें,
अंजाना डर मन में लिए,
आज इंसान, इंसान से दूर हो गया,
आज इंसान नकाबों में रह गया।

बच्चों का खेलना, बड़ों का खुली हवा में घूमना,
सब पर लग गया है विराम।

हे प्रभु!! यह कैसी विपदा आई है,
हर इंसान तेरे दर से भी दूर हुआ है।
हे भगवन! अब तो ऐसी मेहर करो,
अब कोरोना का कहर दूर करो।।

नीतू गुप्ता, अलवर शहर

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