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अलवर एसपी राजेन्द्र सिंह ने अलवर जिले को बताया सबसे चुनौतीपूर्ण, पढि़ए अलवर पुलिस अधीक्षक का पहला इंटरव्यू

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अलवरAug 07, 2018 / 08:57 am

Prem Pathak

अलवर एसपी राजेन्द्र सिंह ने अलवर जिले को बताया सबसे चुनौतीपूर्ण, पढि़ए अलवर पुलिस अधीक्षक का पहला इंटरव्यू

जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह ने माना कि अलवर में अजमेर से ज्यादा अपराध है। सीमावर्ती जिला होने के कारण अपराध की प्रकृति भी अलग है। सोमवार को ‘पत्रिका’ से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि अलवर में कानून व्यवस्था को लेकर आमजन से संवाद व जनसहभागिता बढ़ाई चाहिए। गोतस्करी में लिप्त अपराधियों को चिह्नित किया जाएगा। गोतस्करी रोकने के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों का डाटा तैयार कर उनका डोजियर खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि वे अलवरवासियों को अनुशासित व साफ-सुथरी पुलिसिंग देना चाहते हैं। इसमें आमजन का सहयोग भी अपेक्षित है। पेश हैं जिला पुलिस अधीक्षक से बातचीत के कुछ अंश।
जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह से बातचीत

सवाल- आप अजमेर भी रहे। अलवर व अजमेर की पुलिसिंग में क्या अन्तर नजर आया?
जवाब- अलवर में क्राइम ज्यादा है। यहां कुछ मुद्दे अजमेर से अलग हैं। सीमावर्ती जिला होने के चलते यहां क्राइम भी अलग तरह का है। इसकी रोकथाम के लिए अलग रणनीति अपनाई जाएगी।
सवाल- कार्यभार संभालते ही आपका पहले रामगढ़ व उसके बाद गोविन्दगढ़ में बड़े मामलों से साक्षात्कार हुआ। इसके बाद आपकी रणनीति क्या रही?
जवाब- रामगढ़ व गोविन्दगढ़ की घटना के बाद हमने दो तरह की नीति बनाई। गोतस्करी से जुड़े बदमाशों को चिह्नित करने का काम शुरू किया गया। गोतस्करी से जुड़े पुराने वारंटियों व भगोड़ों को पकडऩे के प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को जागरूक व उनसे व्हाट्सअप सहित अन्य माध्यमों से जुडऩे का प्रयास कर रहे हैं। जो लोग गोतस्करी रोकने के नाम पर गुंडागर्दी करते हैं, उनके खिलाफ भी डोजियर खोला जाएगा।
सवाल- आपने आते ही कई नवाचार किए। ऐसा क्यों महसूस हुआ?
जवाब- यह सही है कि हमने पुलिसिंग में कई नवाचार किए हैं। रात को आने-जाने वालों का वैरिफिकेशन किया जा रहा है। जल्द दुपहिया वाहनों व उन पर नम्बर प्लेट लगाने वालों का सर्वे कराया जाएगा। हमार विशेष फोकस पेट्रोलिंग पर है। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि अजमेर में भी हमने कई नवाचार किए। इससे वहां लूट, डकैती, नकबजनी जैसे प्रोपर्टी अपराधों में कमी आई। अजमेर में सबसे ज्यादा गुंड़े-बदमाश पकड़े गए। अलवर में भी कुछ ऐसे ही प्रयास होंगे।
सवाल- अलवर में गोमांस व गोहत्या का मुद्दा छाया हुआ है। विभिन्न संगठनों की बैठकें व पंचायतें हो रही हैं। इसके पीछे कहीं चुनावी राजनीति तो नहीं है?
जवाब- ऐसा कुछ नहीं है। यह सही है कि जल्द ही चुनाव आने वाले हैं, जो एक चैलेंज है। इसके लिए हम तैयार हैं। आने वाले समय में पुलिस जनसहभागिता का अभियान भी चलाएगी। जिसमें सभी एसएचओ गांव व वार्डों में जाएंगे। बीट कांस्टेबल रात को वहां रुकेंगे। इस दौरान गुंडातत्वों व अच्छे लोगों का सर्वे किया जाएगा। इसके बाद गुंडातत्वों पर कार्रवाई व अच्छे लोगों को पुलिस से जोड़ा जाएगा। सोशल मीडिया सैल को भी मजबूत किया जाएगा।
सवाल- अलवर जिला काफी बड़ा है। क्या जिले के अनुपात में पुलिस की नफरी व संसाधनों की कमी महसूस होती है?
जवाब- संसाधनों का अभाव हमेशा रहता है। जो संसाधन हैं, उनका सही इस्तेमाल होना चाहिए। इससे ही काफी स्थितियां बदल जाती हैं और क्राइम कंट्रोल होता है।
सवाल- अलवर में सीआई सहित पुलिस अधिकारियों के कई पद खाली पड़े हैं। इससे भी दिक्कतें आती होंगी?
जवाब- यह सही है कि उपचुनाव से अलवर, अजमेर व भीलवाड़ा में बड़े पैमाने पर चेंज हुए हैं। नए अधिकारी को अपने इलाके को समझने में समय लगता है। लेकिन यह सामान्य प्रक्रिया है। नई रणनीति बनाकर इसे जल्द कवर कर लिया जाएगा।
सवाल- अलवर जिले में सबसे अधिक झूठे मुकदमें दर्ज होने की बात सामने आई है। इनकी रोकथाम के लिए पुलिस की ओर से क्या प्रयास होंगे?
जवाब- यह सही है कि अलवर जिले में झूठे मुकदमों की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसे मुकदमों से पुलिस का समय बर्बाद होता है। अब झूठे मुकदमें दर्ज कराने वालों के खिलाफ इस्तगासे पेश किए जाएंगे।
आखिरी सवाल
जनता के लिए आपका क्या संदेश है?
जवाब- हम अलवर को साफ-सुथरी व अनुशासित पुलिसिंग देना चाहते हैं, जो कि जनता के सहयोग के बिना संभव नहीं है। जनता को यदि लगता है कि पुलिस के कार्य व प्रणाली में सुधार की जरूरत है, तो वे हमें बताएं। उस पर अमल कर सुधार के प्रयास किए जाएंगे।
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