पत्रिका की टीम ने अलवर जिले के कई स्कूलों में मौके पर जाकर विद्यार्थियों से पुस्तक पढ़वाई और पहाड़े सुने। कई स्कूलों में तो विद्यार्थी तीसरी कक्षा की किताब भी नहीं पढ़ पाए। अलवर जिले के मुंडावर क्षेत्र के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थी मेहुल गुप्ता से जब पहली कक्षा की हिन्दी की किताब पढ़वाई तो उसने पढ़ ली लेकिन वह अंग्रेजी में पाठ नहीं पढ़ पाया। अब सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से ही अंगे्रजी पढ़ाई जाती है लेकिन बहुत से विद्यार्थी अंग्रेजी में ही कमजोर मिलते हैं। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय रूपबास ग्रामीण में कक्षा छठीं की छात्रा टीना हिन्दी का पाठ ही नही पढ़ पाई। जगन्नाथ मंदिर परिसर रूपबास में चलने वाले राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में हेमा सैनी और वकील बंजारा को किताब पढऩी आती थी और पहाड़े भी आते थे। अलवर जिले में कई ऐसे स्कूल मिले जिनके विद्यार्थियों को तीसरी कक्षा की किताब पढऩा भी नहीं आया। इसके बावजूद इनकी ग्रेड ए और ए प्लस तक थी। इस परीक्षा में अधिकतर विद्यार्थियों को ए ग्रेड आई है।
परीक्षा प्रभारी योगमाया सैनी का कहना है कि इस परीक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों की शिक्षा में गुणात्मक विकास करना और सम्बन्धित शिक्षकों की जवाबदेही तय करना है। इसमें विद्यार्थियों के कमजोर होने पर उन्हें उपचारात्मक शिक्षा भी दी जाती है।
नोटिस से बचाने का भी तरीका जिस स्कूल में विद्यार्थियों की इस परीक्षा में सी और डी ग्रेड मिली है, उनसे सम्बन्धित शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस दिए जाने हैं। इस नियम के बारे में सभी शिक्षकों को जानकारी है। कॉपी की जांच करने वाले शिक्षकों ने अन्य शिक्षकों को नोटिस से बचाने के लिए अधिकतर विद्यार्थियों को उत्तीर्ण कर दिया।