scriptहरियाणवी मेवात में जीत दिलाने जाएगा अलवर, राठ में भी दखल | Alwar to interfere in Haryanvi Mewat, also interfere in Rath | Patrika News

हरियाणवी मेवात में जीत दिलाने जाएगा अलवर, राठ में भी दखल

locationअलवरPublished: Oct 16, 2019 02:04:30 am

Submitted by:

Prem Pathak

हरियाणा की अटेली, नारनौल, बावल व रेवाड़ी सीटों पर अलवर का खास प्रभाव

हरियाणवी मेवात में जीत दिलाने जाएगा अलवर, राठ में भी दखल

हरियाणवी मेवात में जीत दिलाने जाएगा अलवर, राठ में भी दखल

प्रेम पाठक
अलवर. हरियाणा व राजस्थान की राजनीति का दशकों से गहरा नाता रहा है। इसके चलते चुनाव के दौरान एक-दूसरे प्रदेश के नेताओं की मांग बढ़ जाती है। हरियाणा में २१ अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में भी अलवर जिले के नेताओं की मांग है।
अलवर जिला व हरियाणा के सीमावर्ती जिलों का सामाजिक सम्बन्ध गहरा है। जिले के बहरोड़, मुण्डावर, बानसूर, तिजारा, किशनगढ़बास, रामगढ़, लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र के लोगों की हरियाणा के नारनौल, रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेन्द्रगढ़, अटेली, मेवात में रिश्तेदारी है। दोनों प्रदेश के लोगों में बेटी देने और बेटी लेने का पुराना नाता है। यही सामाजिक सम्बन्ध अब एक-दूसरे प्रदेश की राजनीति में गहरी पैठ बना चुके हैं। तभी तो राजस्थान में चुनाव के दौरान हरियाणा के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग यहां पड़ाव डालते हैं, वहीं हरियाणा में चुनाव के दौरान अलवर जिले के लोग राजनीतिक प्रभाव डालने के लिए वहां डेरा डालते हैं।
भौगोलिक सम्बन्ध भी हैं गहरे : भौगोलिक दृष्टि से हरियाणा व राजस्थान के गहरे सम्बन्ध हैं। अलवर जिले की सीमा हरियाणा से सीधी जुड़ती हैं। इसी प्रकार गंगानगर व हनुमानगढ़, सीकर व झुंझुनंू आदि जिलों का भी हरियाणा से जुड़ाव रहा है। यही भौगोलिक जुड़ाव दोनों प्रदेशों की राजनीति पर असर डालता है।
राजनीतिक सम्बन्ध का भी पड़ता है असर : अलवर जिला व हरियाणा में राजनीतिक सम्बन्ध भी रहे हैं। हरियाणा के मेवात की राजनीति पर अलवर के जिले के रामगढ़, नौगावां, लक्ष्मणगढ़ का प्रभाव रहा है। अलवर जिले के मेवात व हरियाणा के मेवात में रिश्तेदारियों से राजनीतिक नजदीकियां बढ़ी है। दोनों ही प्रदेशों में चुनाव के दौरान मेवात की राजनीति असरकारक रही है।

महाराष्ट्र में भी रहती है जिले के नेताओं की मांग
महराष्ट्र की राजनीति में भी राजस्थान का खासा प्रभाव है। मुम्बई व महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में राजस्थानी रहते हैं। राजस्थान के इन्हीं लोगों को अपनी ओर मोडऩे के लिए विभिन्न दल चुनाव के दौरान यहां के नेताओं को बुलाते रहे हैं। वर्तमान में अलवर के शहर विधायक संजय शर्मा समेत कई नेता महाराष्ट्र में प्रचार को गए हैं। सांसद महंत बालकनाथ योगी, पूर्व सांसद डॉ. करणसिंह यादव, बस्तीराम यादव, पूर्व विधायक मामन सिंह यादव, मोहित यादव, बलवान यादव, मनोज यादव, संदीप दायमा, रामकिशन मेघवाल, विधायक मंजीत चौधरी सहित अनेक नेता हरियाणा में चुनाव प्रचार की कमान थामे हैं। इसके अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह हरियाणा तथा महाराष्ट्र और श्रम राज्यमंत्री टीकाराम जूली हरियाणा में प्रचार करने जाएंगे।

साठ के दशक से रहा है राजनीति में दखल
अलवर की राजनीति के जानकारी हरिशंकर गोयल ने बताया कि दोनों प्रदेशों की राजनीति में एक-दूसरे का दखल साठ के दशक से है। वर्ष १९६९ में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने राव वीरेन्द्र सिंह ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में अपनी हरियाणा विशाल पार्टी से अलवर जिले में बहरोड, बानसूर, तिजारा व मुण्डावर से उम्मीदवार उतारे। इसी तरह हरियाणा के अन्य दलों के नेताओं की भी अलवर व प्रदेश के दूसरे जिलों की राजनीति में खासा दखल रहा है। वर्ष १९७७ के जनता पार्टी शासन के बाद दोनों प्रदेशों में राजनीतिक सम्बन्ध और गहरे हो गए।
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