रोड पर वाहनों को नहीं खड़ा होने देते और जाम भी नहीं लगने देते लेकिन, साहब के निकलने के बाद दिन में न जाने कितनी बार जाम लगता है। जिसमें आमजन को धक्के खाने पड़ते हैं। उस दिन जिला कलक्टर, पुलिस अधीक्षक सहित अन्य आला अधिकारी भी जाम में फंसते हैं जब वे अचानक कार्यालय से निकलते हैं। असल में यातायात पुलिसकर्मियों को पूरा पता है कि बड़े अधिकारी किस समय दफ्तर आते-जाते हैं। खासकर उसी समय अलर्ट अधिक दिखते हैं। इसके बाद तो हर व्यक्ति खुद अपनी जगह बनाता हुआ रोड से निकलता है।
सख्ती कर दें तो सबको बराबर सडक़ मिले मुख्य सडक़ मार्गों पर नगर परिषद, यूआईटी व यातायाता पुलिसकर्मी सख्ती कर दें तो सडक़ से निकलने को आमजन को भी अधिकारियों के बराबर जगह मिल सकेगी। दुकानों के आगे रोड व फुटपाथ की जगह सुनिश्चित करने की जरूरत है। इस समय पैदल चलने वालों के लिए कोई जगह ही नहीं है। जबकि अधिकतर प्रमुख रोड पर करीब २० से ३० फीट चौड़ा फुटपाथ है। जिस पर दुकानों का अतिक्रमण है। रही-सही जगह पर कार व दुपहिया वाहन खड़ा कर देते हैं। नतीजन आमजन को जाम में फंसना पड़ता है। अधिकारी जब आते-जाते हैं तो उस समय यातायात पुलिसकर्मी वाहनों को रोड पर खड़ा नहीं होने देते हैं।
अभी एक दूसरे पर टाल रहे अभी नगर परिषद व यातायात पुलिस एक दूसरे पर टाल रहे हैं। वाहन खड़े होने पर नगर परिषद के अधिकारी कहते हैं ये यातायात पुलिस का काम है। यातायात पुलिस कहती है कि हर दुकान के आगे चौकसी संभव नहीं है। जबकि शहर में कई जगहों पर दुकानों के आगे वाहनों की खुली-बिक्री होती है।
आयुक्त भी पास में रह रहे, फिर भी ये हाल यह नगर परिषद के कार्यालय के पास का रोड है। कम्पनी बाग के सामने ही नगर परिषद आयुक्त का आवास है। फिर भी नंगली सर्किल पर दिन पर जनता को धक्के खाने पड़ते हैं। जबकि सडक़ की चौड़ाई पर्याप्त है लेकिन, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने अपनी पार्र्किंग की जगह में दूसरे काम कर रखे हैं। अधिकतर पार्र्किंग की जगह नहीं छोड़ रखी। कुछ दुकानों के आगे अतिक्रमण है। जिसे एक समान हटाकर स्थाई बंदोबस्त किए जाने पर ही यह रोड खुला हो सकता है।