15 वर्ष पूर्व मंडी का शिलान्यास
अलवर जिला मुख्यालय पर 15 वर्ष पूर्व कृषि उपज मंडी के सामने वाली जमीन पर प्याज मंडी का शिलान्यास हुआ। इस मंडी में प्याज के थोक व्यापारियों को दुकान मिलनी थी जिससे बाहर से आने वाले व्यापारियों और किसानों को सुविधा मिल सके। यहां इलेक्ट्रोनिक स्क्रीन पर प्याज के भाव दर्शाने की भी योजना थी। इस मंडी में व्यापारियों के लिए रेस्ट हाउस, कैंटीन सहित सभी सुविधाएं जुटानी थी। डेढ़ दशक बाद भी अलवर की यह प्याज मंडी नहीं बन पाई है।
आपसी विवाद न्यायालय तक पहुंचा
इस प्याज मंडी में दुकान आवंटन को लेकर पहले व्यापारियों में आपसी विवाद न्यायालय तक पहुंच गया जिसके कारण यहां प्याज मंडी में दुकान आवंटन नहीं हो सकी। व्यापारियों के मध्य आपसी मामला सुलझने के बाद भी अलवर की प्याज मंडी नहीं बन सकी है। कुछ माह पहले ही इस प्याज मंडी में टावर बनाने की योजना पर मंथन चल रहा था जिससे नीचे व्यवसायिक कॉम्पलेक्स और ऊपर प्याज व्यापारियों के लिए ऑफिस विकसित किए जा सके।
बड़ी प्याज मंडी के रूप में सामने आया
एक दशक पहले ही अलवर के अधिकतर प्याज उत्पादन करने वाले किसान प्याज बेचने के लिए दिल्ली जाते थे। दस सालों में अलवर सब्जी मंडी के दुकानदार के कार्य व्यवहार के चलते यह बड़ी प्याज मंडी के रूप में सामने आया है। यहां प्याज क्रेता व्यापारी अब किसानों को प्याज की खरीद पर लक्की ड्रा तक निकालते हैं।
समीपवर्ती जिलों से आने लगा बिकने के लिए प्याज
अलवर जिला मुख्यालय पर अन्य समीपवर्ती जिलों से भी प्याज बिकने के लिए आने लगा है। अब टावर बनाने की तैयारी-डेढ़ दशक पूर्व अलवर की प्याज मंडी में 34 दुकानें आवंटित की गई थी। इसके बाद मांग बढऩे पर 134 दुकानों के आवंटन की नीति बनाई गई। यह मंडी अभी तक नहीं बन पाई है।