वर्ष 2017 से अलवर जिले में एनसीआर व अमृत योजना के तहत पानी की लाइन, टंकी, पम्प हाउस के लिए 430 करोड़ रुपए का बजट मंजूर हुआ। इसमें से करीब 350 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। फिर भी अलवर शहर में रोजाना पेयजल को लेकर जनता सडक़ पर नजर आती है। विरोध प्रदर्शन व जाम लगते हैं। जिला कलक्टर व जलदाय विभाग के कार्यालयों में नियमित रूप से शिकायत आती हैं।
4 करोड़ लीटर पानी रोज अलवर शहर में गर्मी के दिनों में अलवर शहर में रोजाना करीब 4 करोड़ लीटर और पूरे जिले से करीब 10 करोड़ लीटर पानी भूगर्भ से निकाला जा रहा है। जिसे पानी की टंकी, ट्यूबवेल के जरिए सप्लाई किया जाता है। इसमें से करीब 10 से 15 प्रतिशत पानी लीकेज के चलते बर्बाद होता है। एनसीआर के नियमों के अनुसार पानी सप्लाई करने के लिए शहर में करीब 6 करोड़ लीटर व जिले में 15 करोड़ लीटर से अधिक पानी की जरूरत है।
एनसीआर -कहां-कितना बजट अलवर शहर में 175 करोड़, राजगढ़ 20 करोड़, बहरोड़ 26 करोड़, तिजारा 16 करोड़, भिवाड़ी 40 करोड़, खैरथल 36 करोड़ व किशनगढ़बास 21 करोड़ रुपए का बजट है। अमृत योजना में अलवर शहर में भिवाड़ी के लिए अलग से 100 करोड़ रुपए का बजट मिला है। इस तरह कुल करीब 430 करोड़ रुपए का बजट मिला है। जिसमें से 350 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। 250 करोड़ रुपए में पानी की टंकी, पम्पहाउस, ट्यूबवेल सहित अनेक कार्य किए गए हैं।
10 दिन से पेयजल संकट, गुस्सा फूटा अलवर. शहर में पानी की समस्या पर हर दिन कहीं न कहीं कॉलोनियों के लोग रोष व्यक्त कर रहे हैं। रविवार को जुबली बास क्षेत्र में महिलाओं ने दस दिन से पानी नहीं आने पर रोष जताया। जलदाय विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। यहां महिलाओं ने बताया कि पिछले दस दिनों से पानी नहीं पहुंच रहा है। नाममात्र के पानी से कुछ नहीं हो रहा है। जबकि कई बार जलदाय विभाग की जेईएन को शिकायत कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई समाधान नहीं किया गया। अब आखिरी में परेशान होकर विरोध प्रदर्शन किया है। ताकि प्रशासन तक उनकी बात पहुंचे। जिले में रविवार को 46 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान में आमजन का बिना पानी रहना मुश्किल हो गया। जुबलीबास के अलावा अन्य जगहों पर भी पानी की किल्लत है। जिसके बारे में अधिकारियों को शिकायत की है।