इन बैरकों में करीब 400 से ज्यादा बंदी बंद हैं। कॉलोनी में घुसकर दीवार के पीछे से बदमाश जेल में बंद अपने साथी बदमाशों को मोबाइल व अन्य सामान फेंक जाते हैं। हाल ही एक युवक को जेल में मोबाइल फेंकने के प्रयास में आरएसी के जवानों ने पकड़ा था। वहीं, बहरोड़ उप जेल के निकट भी एक कई मंजिला मकान है। इस कारण इन दोनों जेलों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन इसके बावजूद जेल प्रशासन ने कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किए हुए हैं।
कई कुख्यात बंद अलवर सेंट्रल जेल और बहरोड़ उप जेल में पपला और आनंदपाल गिरोह के कुख्यात बदमाश बंद हैं। इसके अलावा अन्य कई गिरोह के भी कुख्यात अपराधी बंद हैं। जिनकी सुरक्षा के लिए जेलों में कड़े सुरक्षा इंतजामों की सख्त आवश्यकता है।
न वाच टावर और न ही दीवार ऊंची अलवर सेंट्रल जेल और बहरोड़ जेल की इस समस्या से जेल प्रशासन बखूबी परिचित है, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा के लिए इन जेलों में न तो वाच टावर लगाए हुए हैं और न ही दीवार को ऊंचा कराया जा रहा है।
प्रस्ताव भिजवा रहे हैं सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए जेलों में वाच टावर लगाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय को भिजवाया जा रहा है। जल्द ही यहां सुरक्षा के लिए वाच टावर लगा दिए जाएंगे।
राजेन्द्र कुमार, जेल अधीक्षक, अलवर।