आर्थिक तंगी की वजह से नहीं बना वैज्ञानिक इमरान कहते है, ‘पापा किसान थे। मेरी इच्छा वैज्ञानिक बनने की थी, लेकिन घरेलू आर्थिक परिस्थितियों की वजह से वैज्ञानिक नहीं बन पाया।’ उन्होंने कहा, ‘भाई घर में पुराना कम्प्यूटर छोड़ कर चला गया था। मैंने कम्प्यूटर का इस्तेमाल करना शुरू किया और कुछ किताबों से पढ़ाई शुरू की, धीर-धीरे मोबाइल एप बनाना शुरू किया।’
उन्होंने बताया कि इनके जिले के बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढऩा चाहते थे। लेकिन उन्होंने अपने स्कूल में कम्प्यूटर लैब बनाई। इससे प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी अब उनके स्कूल की ओर आकर्षित होते हैं। उन्होंने कहा कि माना जाता है कि पहले सिर्फ उन्हीं अध्यापकों को पुरस्कार के लिए चुना जाता था, जिनके संपर्क होते थे। लेकिन अब नए दिशा-निर्देश बनने के बाद इसमें हुनर की कद्र शुरू हो गई है।
उन्होंने बताया कि इनके जिले के बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढऩा चाहते थे। लेकिन उन्होंने अपने स्कूल में कम्प्यूटर लैब बनाई। इससे प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी अब उनके स्कूल की ओर आकर्षित होते हैं। उन्होंने कहा कि माना जाता है कि पहले सिर्फ उन्हीं अध्यापकों को पुरस्कार के लिए चुना जाता था, जिनके संपर्क होते थे। लेकिन अब नए दिशा-निर्देश बनने के बाद इसमें हुनर की कद्र शुरू हो गई है।
प्रधानमंत्री ने फिर अलवर के इमरान की तारीफ की अलवर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इमरान खान से मुलाकात के बाद खुद ही इसकी जानकारी टवीटर पर दी। उन्होंने लिखा कि, अलवर के मोहम्मद इमरान खान मेवाती से मुलाकात हुई। उन्होंने इमरान को बधाई देते हुए लिखा कि इमरान खान के कार्यों की मैं प्रशंसा करता हूं। उन्होंने शैक्षणिक ई-कंटेंट के साथ ही इनके एप्स ने प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं को भी कवर किया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने लंदन से भाषण के दौरान कहा था कि मेरा भारत अलवर के इमरान में बसता है।