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इमरान ने कहा मैंने एप देखा तक नहीं था, एक सीख ने मुझे बना दिया एप गुरु

एप गुरु इमरान खान का कहना है कि मैं तो एप के बारे में कुछ जानता ही नहीं था लेकिन मुझे एक मार्गदर्शन ने एप गुरु बना दिया। पूरे विश्व में मेरे बनाए एप लोकप्रिय हो रहे हैं।

अलवरJul 05, 2020 / 10:44 am

Dharmendra Adlakha

इमरान ने कहा मैंने एप देखा तक नहीं था, एक सीख ने मुझे बना दिया एप गुरु

इमरान ने कहा मैंने एप देखा तक नहीं था, एक सीख ने मुझे बना दिया एप गुरु

एप गुरु इमरान खान का कहना है कि मैं तो एप के बारे में कुछ जानता ही नहीं था लेकिन मुझे एक मार्गदर्शन ने एप गुरु बना दिया। पूरे विश्व में मेरे बनाए एप लोकप्रिय हो रहे हैं। कई देश अब मुझसे अपने सरकारी एप बनवा रहे हैं।यह कैसे हुआ, यह पढकऱ आप हैरान हो जाएंगे।

एप गुरु इमरान खान ने पत्रिका को बताया कि मेरे जीवन में गुरुओं का जीवन दर्शन बहुत महत्वपूर्ण है। मैंने ईमानदारी, समय की पाबंदी और सच बोलना गुरुओं से ही सीखा। प्रारम्भिक कक्षा में मेरे गुरु दिलावर खान के सिखाए मार्ग को आज भी नहीं भूलता हूं। बड़ी कक्षाओं में मेरे गुरु रोहिताश्व यादव मुझे प्रयोग करके विज्ञान सिखाते जिससे मेरी विज्ञान के प्रति समझ बढ़ी।

कई लोग मेरे गुरु तो नहीं लेकिन मेरे मार्ग दर्शक बने जिनमें अलवर जिला कलक्टर रहे आशुतोष एटी पेडणेकर और इन्द्रजीत सिंह हैं जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षण ले रहे युवाओं को प्रशिक्षण देने का मौका दो बार मिला जो मेरे लिए गौरव का समय था। मेरे गांव में तो दूर-दूर तक किसी ने मोबाइल तक नहीं देखे थे और अभावों में लोग रहते थे।

2012 में जब इंटरनेट बहुत महंगा था और स्मार्ट फोन बहुत कम थे। मुझे तत्कालीन जिला कलक्टर आशुतोष एटी पेडणेकर ने बुलाकर कहा कि इमरान एप बनाओ। तब मैं तो एप के बारे में जानता नहीं था तो उन्होंने अपने लैपटॉप में दिखाया कि यह होते हैं एप। उन्होंने कहा कि कल का समय एप का है, तुम आसानी से ऐसे ही नहीं इनसे अच्छे एप बना सकते हो। मैं निराश होने लगा तो उन्होंने कहा मैं कुछ नहीं जानता, तुम शानदार एप बनाने के काबिल हो, अपने आप को पहचानो और काम करो। फिर क्या था मैं दिन रात उसी काम में लग गया। उस समय संसाधन भी नहीं थे लेकिन उनकी एक प्रेरणा ने मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया। बस उनकी प्रेरणा से आज मैं एप गुरु कहलाने लगा हूं लेकिन अब भी हर पल नया सीख रहा हूं।

गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के प्रति आस्था को प्रकट किया जाता है। भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का बहुत महत्व है। गुरु को ईश्वर तुल्य माना जाता रहा है। गुरु भव सागर पार कराने में नाविक की भूमिका निभाते हैं जो हमें सही राह दिखते हैं। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु , महेश के समान सम्मान करनी की हमारी पुरातर पद्धति है। महाभारत में भी अर्जुन ने यह संदेश दिया था कि हमें जन्म देने वाले मां-बाप है लेकिन जीवन को सुसंस्कृत बनाने का काम गुरु ही करता है। गुरु-गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु आपनो जिन गोविंद दियो मिलाय’ यानी भगवान से भी अधिक महत्व गुरु को दिया गया है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी गुरु की महिमा है।

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