अरावली पवर्तमाला से घिरे अलवर जिले में पहाड़ी, राडा सहित अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर अवैध कब्जे, अतिक्रमण एवं अवैध खनन से ज्यादातर पहाड़ी अपने मूल स्वरूप को खो चुकी हैं। थानागाजी के अंगारी में पहाड़ी काटकर समतल करने, अकबरपुर में जरख डूंगरी पर अवैध कब्जे कर पक्के मकान बनाने, नीमराणा के शनिदेव पहाड़ी पर अवैध खनन से पहाड़ खोखला हो गया, लेकिन जिम्मेदार विभाग कार्रवाई के नाम पर जिंदी मक्खी निगलते रहे। नतीजतन जिले की प्राकृतिक सम्पदा पर खतरा बरकरार है।
पांच करोड़ मीट्रिक टन से ज्यादा खनिज निकाल चुके अलवर जिले में लंबे समय से खनन माफिया सक्रिय रहा है, इस कारण तिजारा, भिवाड़ी सहित अन्य क्षेत्रों में अवैध खनन कर 5 करोड़ 22 लाख 83 हजार 390 मीट्रिक टन खनिज पदार्थ निकाल चुका है।
इससे जिले को करीब 430.80 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान भी हुआ है। ये तथ्य स्वयं राज्य प्रशासन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश एक रिपोर्ट में स्वीकार किए हैं।
अलवर ग्रामीण क्षेत्र में बदल गया पहाडिय़ों का स्वरूप अलवर ग्रामीण क्षेत्र के सताना, बरखेड़ा, बिलन्दी बाढ़, बिलन्दी में अवैध खनन के चलते ज्यादातर पहाडिय़ों का स्वरूप बदल गया है। यहां अवैध खनन के चलते पत्थर से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली से एक दर्जन से अधिक हादसे भी हो चुके हैं, जिसमें 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। फिर भी जिम्मेदार विभाग कार्रवाई के नाम पर मौन साधे हैं।
ज्यादातर पहाड़ राजस्व विभाग के अधीन होने के बावजूद संबंधित हल्का पटवारी गैर मुमकिन पहाड़, गैर मुमकिन नदी, सिवायचक जमीन पर अतिक्रमण, अवैध खनन व अवैध की समय पर रिपोर्ट ही दर्ज नहीं करते।
जबकि राजस्व विभाग की ऐसी प्राकृतिक सम्पदा पर अतिक्रमण की धारा 91 की रिपोर्ट होना जरूरी होता है। इस कारण पहाडिय़ों पर अवैध कब्जा व अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई संभव नहीं हो पाती। इतना ही नहीं राजकीय सैकेंडरी स्कूल बिलन्दी के नवनिर्मित भवन के ठीक पीछे खुलेआम अवैध खनन होने से विद्यार्थी भय के साए में पढऩे को मजबूर हैं। संस्था प्रधान की ओर से सरपंच जमालपुर सहित पुलिस प्रशासन को इस बारे में पत्र लिखकर अवगत कराया जा चुका है, लेकिन कार्रवाई का इंतजार है।