सिलीबेरी बांध के भराव क्षेत्र में पानी की लगातार आवक के बावजूद जलस्तर नहीं बढ़रे के मामले में स्थानीय लोगों का कहना है कि भराव क्षेत्र में बने पाताल तोड़ कुओं में पानी जा रहा है। इनमें भारी मात्रा में रिसाव हो रहा है। इसलिए बांध का जलस्तर नहीं बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों ने बांध के भराव क्षेत्र में कई पाताल तोड़ कुओं की जानकारी विभाग के इंजीनियरों को दी तो कहा गया कि अगर पानी कुओं में जा रहा होता तो अब तक बांध काफी खाली हो गया होता, लेकिन बांध का जलस्तर एक समान बना हुआ है।
इधर आरोप है कि बांध में पानी भरने के साथ ही कुएं में जाने लगा तथा बांध की पाल तथा मोरी (गेजवाल) के समीप से भारी मात्रा में पानी का रिसाव जारी है, जिससे खेत लबालब हो रहे हैं। उसे रोकने का समय रहते कोई प्रयास नहीं किया गया। इस वजह से जल स्तर 17 फीट भराव क्षमता तक नहीं पहुंचा। ग्रामीणों ने बताया कि जुलाई में मानसून का आगाज होने के साथ ही 28 जुलाई को भारी बारिश होने के बाद सिलीबेरी बांध में 3 फीट पानी आया था। उसके बाद लगातार बारिश का दौर जारी रहा, जहां 8 फीट, फिर साढ़े 9 फीट पानी आया। 15 अगस्त तक इस बांध में जल भराव 10 फीट तक हो गया। अब बांध का जलस्तर 11 फीट से अधिक है, लेकिन बारिश अधिक होने के साथ ही सिलीबेरी बांध में जल रिसाव होने लगा। इस बाबत क्षेत्र के लोगों ने प्रशासन की आंख खोलने का प्रयास किया, लेकिन विफल रहे।
रबी की फसलों में आता काम बांध का जलस्तर बढ़कर इसमें जल भरा रहता तो रबी फसल के लिए सैकड़ों गांवों के लिए यह काम आता। आरोप है कि जल संसाधन विभाग, प्रशासनिक अधिकारी आंखें मूंद बैठे रहे, जिसके चलते अमृत रूपी जल बांध से व्यर्थ में बहते हुए बर्बाद हो रहा है। ग्रामीण त्रिलोक सिंह, रोहित शर्मा, महावीर कुमार, हिम्मत सिंह, ईश्वर सिंह, रामकरण मीणा, लेखराज रैबारी, मंगतूराम रैबारी, भगवान रैबारी, इंद्र कुमार, संजय कुमार, महावीर प्रसाद, गोविंद जोशी, सावन कुमार, पूनाराम, हुकमचंद्र, कृपाल आदि ने बताया कि पांडुपोल हनुमान, नाहर शक्ति, लिलोंडा क्षेत्र के पहाड़ों में जबरदस्त बारिश होने पर एक महीने से लगातार सूकड़ीसिलीबेरी नदी का पानी बांध में पहुंच रहा है। अभी भी लगातार यह नदी अपने वेग से बह रही है। जहां अब बांध की भराव क्षमता 11 फीट 3 इंच हो गई है। 1 महीने से लगातार बह रही नदी से यह बांध सिलीसेढ झील की तरह लबालब हो जाता और इस बांध की चादर चल रही होती, लेकिन हजारों गैलन पानी रिसाव से बह रहा है। जिसके चलते खेतों में खड़ी रबी की फसल पानी भराव के चलते बर्बाद हो रही है। इधर मामले में जल संसाधन विभाग के अधिकारी संजय खत्री का कहना है कि बांध का जल स्तर 11 फीट 3 इंच था, उतना ही है। पानी का रिसाव हो रहा है तो गेज का स्तर नीचे उतरना चाहिए।