अलवरPublished: Nov 09, 2023 12:29:21 pm
Rajendra Banjara
चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस एवं भाजपा प्रत्याशियों के लिए अपने दलों के बागी नेता ही नहीं, बल्कि दलों में साथ रहकर भीतरघात कर नुकसान पहुंचाने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं की चिंता ज्यादा सता रही है।
चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस एवं भाजपा प्रत्याशियों के लिए अपने दलों के बागी नेता ही नहीं, बल्कि दलों में साथ रहकर भीतरघात कर नुकसान पहुंचाने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं की चिंता ज्यादा सता रही है। इसका कारण है कि इस बार कांग्रेस व भाजपा में विभिन्न सीटों पर टिकट के दावेदारों की लंबी कतार थी।
इनमें से कुछ को पार्टी ने टिकट दिया, इससे नाराज होकर कुछ दावेदार बागी हो गए। वहीं कई टिकट के दावेदार अभी पार्टी में तो हैं लेकिन मन से साथ नहीं लग रहे या फिर पार्टी में अलग ही खिचड़ी पका रहे हैं। हालांकि पार्टी नेताओं ने ऐसे नेताओं को चिह्नित कर उन पर नजर रखना शुरू कर दिया है, लेकिन उनकी मनुहार भी जारी है।
रात भर चला मान-मनुहार का दौर
प्रत्याशियों के नाम वापसी गुरुवार दोपहर तक हो सकेगी। इस कारण कांग्रेस एवं भाजपा के रणनीतिकार एवं बड़े नेता बागी होकर निर्दलीय या किसी अन्य दल का दामन थाम चुनाव मैदान में उतरे अपने नेताओं की मान मनुहार में जुटे रहे। इन पार्टियों के स्थानीय नेताओं से लेकर प्रदेश एवं प्रभारी आदि नेताओं ने भी बागी नेताओं से फोन पर वार्ता कर समझाइश के प्रयास किए। हालांकि अभी ये ज्यादा कारगर होते दिखाई नहीं दिए।
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