ये डिग्रीधारी काला कुआं निवासी सौरभ शर्मा बीटेक डिग्रीधारी हैं। उनका कहना है कि सफाईकर्मी भर्ती में इसलिए आवेदन किया है कि नौकरी मिलने के बाद योग्यता के अनुसार दूसरा कार्य भी मिल जाता है। वैशाली नगर निवासी गर्वित गुप्ता भी बीसीए डिग्रीधारी हैं। उनका कहना है सरकारी नौकरी मिलना चुनौतीपूण हो गया है। पहले कोई न कोई नौकरी मिले। उसके बाद में दूसरा विकल्प देखा जाएगा। शहर निवासी लेखराज मीणा बीए पास है। उसका कहना है कि कोई तो नौकरी मिले। सरकार नौकरियां नहीं निकाल रही हैं। ऐसे में कुछ तो हाथ लगे।
सफाईकर्मी बनने के बाद कार्य सफाईकर्मी बनने के बाद शहर में सफाई का कार्य ही करना पड़ेगा। नालों में नीचे उतरकर गंदगी निकालने का काम भी मिल सकता है। झाडू लेकर सफाई करना तो एक सफाईकर्मी का नियमित कार्य है। अभी तक शहर में अधिकतर वाल्मीकि समाज के लोग ही यह कार्य करते आए हैं, लेकिन अब इस कार्य के लिए भी हर वर्ग के लोग लाइन में हैं।
एक मोटा अनुमान शहर में करीब 3 से साढ़े तीन हजार आवेदन सफाईकर्मी भर्ती के सामान्य जाति के आवेदक हैं, जिसमें से करीब 5 से 7 प्रतिशत आवेदन स्वर्णजाति के हैं। सबसे अधिक वाल्मीकि हैं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व ओबीसी वर्ग के आवेदकों की संख्या काफी है। सफाईकर्मी भर्ती में इतने अधिक आवेदन आने से बेरोजगारी के आलम का पता चल रहा है।