वर्ष 2005 से पूर्व एवं पिछले महीनों सरिस्का में आए बाघों पर संकट के चलते उनकी मॉनिटरिंग और कड़ी करने की जरूरत थी, लेकिन भारतीय वन्यजीव संस्थान ऐसी जरूरत के बावजूद बाघों की मॉनिटरिंग से पीछे हट गया। यही कारण रहा कि इस साल डब्ल्यूआईआई ने सरिस्का में बाघों की मॉनिटरिंग के लिए एमओयू की अवधि नहीं बढ़ाई। पूर्व में डब्ल्यूआईआई ने सरिस्का में बाघों की मॉनिटरिंग के लिए तीन साल का एमओयू किया था। इस साल इस एमओयू की अवधि खत्म हो गई थी।
डब्ल्यूआईआई ने नहीं सौंपी सिग्नल की रिपोर्ट सरिस्का में बाघिन एसटी-5 के मिल रहे सिग्नलों को स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्टैंडिंग कमेटी की ओर से झूुंठा करार दिए जाने के बाद डब्ल्यूआईआई को तीन महीनों की सिग्नल की रिपोर्ट सरिस्का प्रशासन को सौंपनी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर सरिस्का में बाघों के मिल रहे सिग्नल के सच व झूठ का पता लगना था, लेकिन न रिपोर्ट मिली और न ही सिग्नलों की सच्चाई का अब तक पता चल पाया।
मई महीने से एनटीसीए के जिम्मे मॉनिटरिंग सरिस्का में बाघों की मॉनिटरिंग का जिम्मा मई माह से एनटीसीए ने संभाला है। सरिस्का में वर्तमान में 14 बाघों की मॉनिटरिंग के लिए 13 टीमें हैं। इनमें भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से प्रशिक्षित एक सदस्य एवं एक सरिस्का का वन गार्ड शामिल है। एमओयू के तहत इसमें प्रशिक्षित सदस्य को भुगतान डब्ल्यूआईआई की ओर से किया जा रहा था, लेकिन मई माह से इन सदस्यों को भुगतान एनटीसीए प्रोजेक्ट के तहत किया जाएगा।
एनटीसीए प्रोजेक्ट से होगा भुगतान बाघों की मॉनिटरिंग टीम में नियुक्त भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से प्रशिक्षित सदस्य को मई माह से भुगतान एनटीसीए प्रोजेक्ट से किया जाएगा। मॉनिटरिंग के लिए डब्ल्यूआईआई से किया गया एमओयू पूरा हो चुका है।
बालाजी करी, डीएफओ, सरिस्का बाघ परियोजना अलवर
बालाजी करी, डीएफओ, सरिस्का बाघ परियोजना अलवर