आबादी क्षेत्र से दूर हुए जानवर
पहले नवरात्र के दौरान लोग खाने पीने की वस्तुएं जंगल जानवरों को डाल देते थे। जिससे ये जानवर आबादी क्षेत्र में दस्तक देने लगे। कलक्टे्रट परिसर तक इन जानवरों को विचरण करते देखा गया है। करणी माता का मेला नहीं भरने से मानवीय दखल कम हो गया, जिससे ये जानवर कम ही आबादी क्षेत्र में आ रहे हैं।
पर्यावरण हुआ शुद्ध
मेले के दौरान नौ दिन तक हजारों लोगों का करणी माता मंदिर और बाला किला तक हस्तक्षेप था। नौ दिन तक लोगों की आवाजाही और वाहनों की रेलमपेल से वन क्षेत्र के पेड़ पौधों और हरियाली को भी नुकसान होता था, लेकिन अब मेला नहीं भरने से सरिस्का का वन क्षेत्र हरियाली से लदकद है। बाला किला जंगल के पर्यावरण में भी काफी सुधार हुआ।
गंदगी से मिली निजात
कोरोना से पहले मेले के दौरान गंदगी से सामना करना पड़ता था। मंदिर में प्रसाद चढ़ाने वाले श्रद्धालु, दुकानदार पॉलीथिन सहित अन्य खराब वस्तुएं फेंक देते थे, जिससे नौ दिन तक गंदगी से रूबरू होना पड़ता था। पॉलीथिन व अन्य वस्तुएं खाने से जंगली जानवरों को भी जान का खतरा बना रहता था।