scriptप्रदूषण से सांसों में घुल रहा जहर, राजस्थान का यह शहर है सबसे ज्यादा प्रदूषित | Bhiwadi most polluted city of rajasthan and NCR | Patrika News

प्रदूषण से सांसों में घुल रहा जहर, राजस्थान का यह शहर है सबसे ज्यादा प्रदूषित

locationअलवरPublished: Jul 09, 2018 01:31:28 pm

Submitted by:

Prem Pathak

प्रदूषण में फिर से बढ़ोतरी हो रही है। प्रदूषण के कारण लोगों की सांस में जहर घुल रहा है।

Bhiwadi most polluted city of rajasthan and NCR

प्रदूषण से सांसों में घुल रहा जहर, राजस्थान का यह शहर है सबसे ज्यादा प्रदूषित

अलवर. एनजीटी व केन्द्र सरकार के आदेश के बाद भी हवा में घुलते प्रदूषण की मात्रा बताने के प्रति प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गंभीर नहीं है। इसलिए मई व जून की रिपोर्ट अब तक प्रदूषण विभाग ने वेब साइट पर नहीं डाली है। वहीं सांसों में हर पल जहर घुल रहा है और इसके नुकसान से न तो आमजन ही वाकिब है और न ही सरकार को चिंता है।
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की वेबसाइट पर मई व जून माह की प्रदूषण रिपोर्ट अब तक नहीं डाली गई है। जबकि नियम के हिसाब से जांच के बाद तुरंत प्रदूषण की रिपोर्ट अपडेट होनी चाहिए। लेकिन प्रदूषण विभाग एक से दो माह देरी से रिपोर्ट डाल रहा है। इससे आमजन को पता ही नहीं कि सांस के माध्यम से वह जो वायु ले रहा है, वह कितनी जहरीली है।
यह है शहर में प्रदूषण का कारण

अलवर के पुराना औद्योगिक क्षेत्र व एमआईए में करीब 23 औद्योगिक इकाइयों को प्रदूषण फैलाने के लिए चिह्नित किया गया है। वहीं जिलेभर में खुलेआम ईंट भट्टे चल रहे हैं। शहर में ज्यादातर की सडक़ें खुदी पड़ी हैं। इन पर दिनभर धूल उड़ती रहती है। एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते मानकों के चलते बीते साल केंद्र सरकार व एनजीटी ने मशीनों से सडक़ों की सफाई, बड़ी बिल्डिंग का निर्माण, मिसिंग प्लांट, ईंट भट्टे सहित प्रदूषण फैलाने वाली अन्य गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। सामान्यत: अलवर में प्रतिदिन प्रदूषण का स्तर करीब 150 यूजी रहता है। इन दिनों अलवर में प्रदूषण की मात्रा में वृद्धि हुई है।
भिवाड़ी सबसे प्रदूषित

भिवाड़ी प्रदेश व एनसीआर में सबसे प्रदूषित शहर है। प्रतिमाह प्रदूषण की आने वाली रिपोर्ट के आधार पर भिवाड़ी में प्रदूषण का स्तर तय मानक से तीन गुना रहता है। हर माह प्रदूषण 300 यूजी से अधिक रहता है। लेकिन प्रदूषण कम करने के आज तक कोई प्रयास नहीं किए गए।
भट्टे फैला रहे हैं प्रदूषण

जिले में 135 ईंट भट्टे हैं। बीते साल इन सभी भट्टों को बंद करने व जिकजैक तकनीक में बदलने के आदेश दिए गए थे। इनमें से अब तक केवल 50 भट्टे जिकजैक तकनीक में बदले हैं। हालांकि प्रदूषण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नवम्बर व दिसम्बर 2018 माह तक सभी को छूट दी गई हैं। उसके बाद जो भट्टा जिकजैक नहीं होगा। उसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।
क्या है नियम

नियम के हिसाब से जिन सडक़ों पर धूल उड़ती हैं, वहां पानी का छिडक़ाव होना चाहिए। निर्माणाधीन भवन के चारों तरफ ग्रीन पर्दा लगाना चाहिए। औद्योगिक इकाइयों में इलेक्ट्रिक व गैस की चिमनी होनी चाहिए। चिमनी की उचाई तय मानक के हिसाब से होनी चाहिए, लेकिन इन नियमों की ज्यादातर स्थानों पर पालना नहीं हो पा रही है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो