अलवर जिले में हर साल पुलिस रेकॉर्ड में करीब 22 हजार आपराधिक मामले दर्ज होते हैं। जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, लूट, डकैती, अपहरण और फायरिंग जैसे संगीन अपराधों की फेहरिस्त काफी लम्बी रहती है। अपराध की दृष्टि से अति संवेदनशील मानते हुए राज्य सरकार ने 15 अगस्त 2019 को अलवर को दो पुलिस जिलों में विभाजित कर दिया और भिवाड़ी नया पुलिस जिला बना दिया था। भिवाड़ी को पुलिस जिला बने करीब पौने तीन साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी पुलिस आधे-अधूरे संसाधनों और उधारी की व्यवस्था के भरोसे चल रहा है। भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक कार्यालय बीडा के भवन में चल रहा है। पुलिसकर्मियों के लिए स्थाई पुलिस लाइन और फायरिंग रेंज भी नहीं है। पुलिस लाइन रीको के यार्ड में चल रही है भिवाड़ी पुलिस चांदमारी के लिए शेखपुर के समीप स्थित दिल्ली पुलिस की फायरिंग रेंज को इस्तेमाल कर रही है। वहीं, भिवाड़ी पुलिस जिले में स्वीकृत नफरी करीब 1500 की है, लेकिन इनमें से 300 से ज्यादा पद रिक्त चल रहे हैं।
बजट की घोषणा, काम चालू नहीं हालांकि पुलिस लाइन के लिए खिदरपुर में जमीन चिह्नित कर ली गई है। राज्य सरकार ने इस बार के बजट में भिवाड़ी पुलिस लाइन के लिए 100 करोड़ रुपए बजट की घोषणा की गई है, लेकिन अभी पुलिस लाइन का काम चालू नहीं हो सका है।
अलवर जिले की सीमाएं हरियाणा से सटी हुई हैं। भिवाड़ी पुलिस जिला बॉर्डर का जिला है। यहां से सैकड़ों कच्चे-पक्के रास्ते हरियाणा में प्रवेश करते हैं। जिसके कारण भिवाड़ी पुलिस जिले में हरियाणा और दिल्ली के बड़े अपराधी गिरोह की पूरी घुसपैठ बनी हुई है। हरियाणा के पड़ोसी जिलों के अपराधी भिवाड़ी में आकर संगीन अपराधों को अंजाम दे रहे हैं तथा शराब और हथियारों की तस्करी भी कर रहे हैं। संसाधन और नफरी की कमी के चलते पुलिस इन अपराधों पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लगा पा रही है।
अलवर जिले की सीमाएं हरियाणा से सटी हुई हैं। भिवाड़ी पुलिस जिला बॉर्डर का जिला है। यहां से सैकड़ों कच्चे-पक्के रास्ते हरियाणा में प्रवेश करते हैं। जिसके कारण भिवाड़ी पुलिस जिले में हरियाणा और दिल्ली के बड़े अपराधी गिरोह की पूरी घुसपैठ बनी हुई है। हरियाणा के पड़ोसी जिलों के अपराधी भिवाड़ी में आकर संगीन अपराधों को अंजाम दे रहे हैं तथा शराब और हथियारों की तस्करी भी कर रहे हैं। संसाधन और नफरी की कमी के चलते पुलिस इन अपराधों पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लगा पा रही है।