अलवर में थानागाजी गैंग रेप ( thanagazi gang rape ) जैसी घटनाओं के बाद भी प्रशासन लापरवाही बरत रहा है। पीडित महिलाएं सामान्य चिकित्सालय में मेडिकल करवाने के लिए भटकती रहती हैं। इस सेंटर के शुरु होने पर सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे मिलना संभव होगा। राज्य सरकार के निर्देश के बाद भी पिछले तीन सालों में वन स्टॉप सेंटर बनाने की योजना फाइलों में ही सिमटी हुई है। जबकि राज्य के अधिकतर जिलों में वन स्टॉप सेंटर ने काम करना शुरु कर दिया है। यहां अभी तक इसका भवन ही नहीं बन पाया है।
एक ही जगह पर मिलेगी हर सुविधा महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से हिंसाओं से पीडि़त महिलाओं की सुविधाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर शुरु किया जाना था। इसमें दहेज उत्पीडन, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीडन, एसिड अटैक, मानव तस्करी आदि से पीडि़त महिलाओं को एक ही जगह पर पुलिस, मेडिकल, कानून आदि की सुविधा मुहैया करानी थी, जिससे कि उनकी निजता उजागर नहीं हो और न्याय के लिए भी जगह- जगह पर भटकना नहीं पड़े।
वन स्टॉप सेंटर पर आने वाली पीडित महिलाओं को अस्थाई आश्रय भी देने का प्रावधान है। यहां उनके रहने व खाने का इंतजाम करने का प्रावधान है। इसके अलावा जब तक मानसिक स्थिति सही नही हो जाए तक काउंसलिंग करने के भी निर्देश हैं।
मेडिकल से नहीं मिली एनओसी तीन सालों से सेंटर बनाने का काम अटका हुआ है। सामान्य चिकित्सालय में इसके लिए जगह तय की जा चुकी है, लेकिन मेडिकल विभाग की एनओसी नहीं मिलने के कारण मामला आगे नहीं बढ़ पाया है। विभाग ने अस्थाई तौर पर
इस सेंटर को शुरु करने के लिए सामान्य चिकित्सालय के समीप स्थित सरकारी धर्मशाला को भी चिन्हित किया था। लेकिन वहां भी अब तक यह सेंटर शुरु नहीं हो
पाया है।
चुनावों के चलते पिछले काफी समय से वन स्टॉप सेंटर के लिए टेंडर नहीं हो पाएं हैं। पूर्व में अस्थाई तौर पर हॉस्पिटल की धर्मशाला में इसको शुरु किया जाना था। इसके लिए अस्पताल में जगह चिंहित किया जा चुकी है। लेकिन मेडिकल विभाग ने जयपुर से एनओसी जारी नहीं की है।
रिषिराज सिंहल, सहायक निदेशक, महिला अधिकारिता विभाग अलवर।