जयसमन्द के पास भी अवैध बजरी निकासी बजरी पर रोक व बढ़ती मांग ने बजरी की अवैध निकासी को बढ़ा दिया हैं। अलवर शहर में जयसमन्द बांध के समीप भी बजरी निकासी का काम जोरों पर है। यहां अवैध बजरी निकासी से गहरी-गहरी खाइयां बन गई हैं। साल-डेढ़ साल पहले पुलिस व प्रशासन ने यहां दबिश देकर अवैध बजरी निकासी में लगे कई ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को जब्त किया था। इसके बाद प्रशासन ने चुप्पी साध ली और अवैध खननकर्ताओं को बजरी निकासी की खुली छूट मिल गई।
बनास से गंगापुर और वहां से अलवर पहुंच रही अलवर में बनास की बजरी भी बहुतायत से बिक रही है। दरअसल, इस बजरी की क्वालिटी बेहतर मानी जाती है। इसके चलते इसका अवैध परिवहन भी जोरों पर है। जानकारों की मानें तो बनास से यह बजरी पहले गंगापुर पहुंचती है। यहां से गाडिय़ों में भरकर इसे अलवर लाया जाता है। खास बात ये है कि गंगापुर से अलवर तक बजरी का यह सफर काफी महंगा पड़ता है। करीब आधा दर्जन चेक पोस्ट व नाकों को पार कर यह बजरी अलवर पहुंचती है। इससे इसके दाम भी बढ़ जाते हैं।
खनन रुका नहीं, बढ़ गए दाम रोक के बाद बजरी का अवैध खनन रुका हो अथवा नहीं, लेकिन इसके दाम अवश्य बढ़ गए हैं। अलवर की बात करें तो यहां कई तरह की बजरी आ रही है। इसमें रामगढ़, मौनपुरा, काली खोल, बुर्जा सहित बनास की बजरी शामिल है। बजरी विक्रेताओं के अनुसार अलवर में नदियों के सूख जाने से ज्यादातर बजरी खेतों से लाई जा रही है। पहले यह बजरी 400-500 रुपए टन आसानी से मिल जाती थी, जो अब रोक के बाद 900-1000 रुपए टन पर पहुंच गई है। बनास की बजरी भी 800-850 रुपए टन से बढकऱ 1700-1800 रुपए टन हो गई है।
ये थे आदेश सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवम्बर 2017 को बजरी खनन पर रोक लगाई। इसके बाद राज्य सरकार ने इसकी पालना के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए थे। इसके बाद सभी अधिकारियों को अवैध बजरी खनन के खिलाफ कार्रवाई करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।