इसका एक अन्य पहलू यह है कि जब कोई जरूरतमंद स्टांप वेंडर्स के पास आता है, तो वे उसे स्टांप तभी देते हैं जब उसी से टाइप कराया जाए। इससे जरूरतमंद व्यक्ति उसी से टाइप कराने को मजबूर हो जाता है और टाइपिंग मैटर का वो मनमाना चार्ज वसूलते हैं। इसके अलावा 50 रुपए की कीमत का स्टांप क्रेता को 60 रुपए में दिए जाने का प्रावधान होने के बावजूद वेण्डर्स 70-80 रुपए तक में बेचते हैं। जिससे सीधा जरूरतमंद को नुकसान उठाना पड़ता है। वेण्डर्स का पेट वाजिब कमीशन से नहीं भरता।
आधार कार्ड बनाने का गोरखधंधा राज्य सरकार की ओर से जिला प्रशासन ने आधार कार्ड बनाने वाले लोगों को अलग-अलग स्थानों के लिए अधिकृत किया हुआ है। नया आधार कार्ड बनाने का कोई शुल्क नहीं है, लेकिन हकीकत यह है कि बिना शुल्क लिए जरूरतमंद को नए आधार कार्ड भी नहीं बनाए जाते। शुल्क भी जरूरतमंद की आवश्यकता के अनुरूप सौ-डेढ़ सौ रुपए तक वसूला जा रहा है।
इसके अलावा इनके पास जिस क्षेत्र के आधार कार्ड बनाने की अनुमति होती है, ये उसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी अपनी आधार मशीन को ले जाकर आधार कार्ड बनाते हैं। इतना ही नहीं कइयों ने तो जिस क्षेत्र के आधार कार्ड बनाने की अनुमति ली है, वहां कभी आधार कार्ड ही नहीं बनाए तथा आधार मशीन को अपनी सुविधानुसार अन्य क्षेत्र में ले जाकर स्थापित कर लिया है। इससे उस क्षेत्र के जरूरतमंद आधार कार्ड के लिए इधर-उधर भटकते फिर रहे हैं। इसी तरह आधार कार्ड में संशोधन का शुल्क 25 रुपए निर्धारित है, जबकि इसमें पचास से सौ रुपए तक वसूले जा रहे हैं।