जिला परिषद की ओर से स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत 18 पदों के लिए भर्ती करने को 62 लाख का टेंडर निकाला। इसके जरिए प्लेसमेंट एजेंसी का चयन करना था। एजेंसी के जरिए यह भर्तियां होनी थीं। नौ मार्च को इसकी सूचना जारी की गई। इससे पहले सीएम अशोक गहलोत की ओर से बजट में संविदा की भर्तियों के लिए अलग से सरकारी एजेंसी के गठन की घोषणा की गई, लेकिन अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जानकारों का कहना है कि बैकडोर एंट्री करने की तैयारी थी। हैरत तो ये है कि सीएम के आदेश को ही अफसरों ने हवा में उड़ा दिया और बजट की घोषणा के एक माह बाद टेंडर भी निकाल दिए।
इस प्रकरण को कुछ लोगों ने प्रदेश सरकार तक पहुंचाया। इस मुद्दे को राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया तो अधिकारी बैकफुट पर आ गए। उन्होंने अब नियमों का अध्ययन करने को कहा है। 28 मार्च को टेंडर खोले जाने थे, लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं हुई। मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेखा रानी व्यास का कहना है कि नियमों के तहत ही सभी कार्य होंगे। अभी टेंडर नहीं खोला गया है।
ये थी सीएम की घोषणा
10 फरवरी को प्रदेश सरकार ने बजट जारी किया। सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से कार्यरत संविदा कार्मिकों को शोषण से मुक्त किया जाएगा। ठेके पर संविदा कार्मिक लेने की प्रथा को समाप्त करते हुए रेक्सको की तर्ज पर राजस्थान लॉजिस्टिकल सर्विसेज डिलीवरी कारपोरेशन (आरएलएसडीसी) का गठन किया जाएगा। एक जनवरी से पूर्व के कार्यरत ठेका कर्मियों को नवगठित सरकारी कंपनी के माध्यम से आवश्यकतानुसार सीधे लिया जाएगा। बिना किसी कटौती के पूर्व वेजेज प्राप्त होंगे।
ये थी सीएम की घोषणा
10 फरवरी को प्रदेश सरकार ने बजट जारी किया। सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से कार्यरत संविदा कार्मिकों को शोषण से मुक्त किया जाएगा। ठेके पर संविदा कार्मिक लेने की प्रथा को समाप्त करते हुए रेक्सको की तर्ज पर राजस्थान लॉजिस्टिकल सर्विसेज डिलीवरी कारपोरेशन (आरएलएसडीसी) का गठन किया जाएगा। एक जनवरी से पूर्व के कार्यरत ठेका कर्मियों को नवगठित सरकारी कंपनी के माध्यम से आवश्यकतानुसार सीधे लिया जाएगा। बिना किसी कटौती के पूर्व वेजेज प्राप्त होंगे।