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गैंदा और गुलाब से किसानों को मिल रही नकद आमदनी

locationअलवरPublished: May 25, 2023 12:11:46 pm

—परंपरागत खेती से हो रहा मोह भंग—लागत लगातार बढऩे से मुनाफा हो रहा कम
परंपरागत खेती में लगातार लागत बढऩे से मुनाफा कम हो रहा है और आय कम हो रही है। इससे किसानों का झुकाव फूलों की खेती की ओर बढ़ा है। कहीं गैंदे तो कहीं गुलाब के फूल खुशबू महका रहे हैं। फूलों के खिलने के साथ ही किसानों के चेहरे भी खिल उठे हैं।

गैंदा और गुलाब से किसानों को मिल रही नकद आमदनी

गैंदा और गुलाब से किसानों को मिल रही नकद आमदनी

फूलों से प्रतिदिन हो रहा मुनाफा
अलवर के विवेकानंद नगर निवासी 50 वर्षीय पप्पूराम ने गांव में 15 साल पहले तीन बीघा जमीन खरीदकर गुलाब की खेती की शुरुआत की। वे बाग में नियमित रूप से फूलों की सार-संभाल करते हैं। उन्हेें प्रतिदिन मुनाफा मिल रहा है। किसान का कहना है कि अन्य किसान भी देखादेखी फूलों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
जिले में 500 बीघा में खेती
कृषि अधिकारियों के अनुसार जिले भर में 500 बीघा पर गुलाब की खेती हो रही है। इस खेती को लगातार बढ़ावा मिल रहा है। इसमें लागत कम आती है और मुनाफा अच्छा मिल जाता है। इसके दाम के लिए भी अधिक इंतजार नहीं करना पड़ता। नकद फायदा हाथोंहाथ मिलता है।
फूलों की बाजार में खूब मांग
गुलाब के फूलों की मांग बाजार में काफी है। गुलाब जलसे सौंदर्य प्रसाधन बन रहे हैं। वहीं सजावट के भी काम आ रहे हैं। दवाओं में भी इनका प्रयोग किया जाता है। दुनियाभर में गुलाब की मांग है। वर्तमान मे एक किलो फूलों के रेट 400 से 500 रुपए हैं।
हर तीन साल में बदलती गुलाब की कलम
गुलाब की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को तैयार करते हैं। उसके बाद उसमें गुलाब की कलम लगाई जाती है। एक बार कलम लगाने के बाद तीन साल तक चलती है। जैविक खाद का उपयोग किया जाता है व खरपतवार नष्ट करने के लिए गुड़ाई की जाती है। फूल आने पर तो तुरंत तोड़े जाते हैं और फिर बाजार में बिक्री होती है। हर तीन साल में गुलाब की कलम को बदल दिया जाता है।
जितेंद्र कुमार — अलवर

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