दाउदपुर निवासी राहुल ने बताया कि उसकी पत्नी प्रिया को एक अगस्त को बेटा हुआ था। जिसे बाद में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, लेकिन घर जाने के बाद शिशु की तबीयत खराब होने लगी। इसलिए तीन अगस्त को शिशु को इमरजेंसी में भर्ती करवाया गया। यहां उसके मुंह से अचानक से झाग आने लगे। इस बारे में चिकित्सक व स्टाफ को कई बार बताया गया, लेकिन फिर भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया। चार अगस्त की रात्रि को शिशु की मौत हो गई।
परिजनों का आरोप है कि नवजात शिशु की मृत्यु के बारे में जब चिकित्सक से पूछा तो उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया। इससे परिजन आक्रोशित हो गए और अस्पताल में हंगामा करने लगे। इस दौरान यहां लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। यहां भर्ती मरीजों ने भी आरोप लगाया कि सरकारी अस्पताल में सरकारी पूरी सुविधाएं दे रही है, लेकिन स्टाफ की लापरवाही की वजह से सरकारी अस्पताल में मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है।
दोपहर में हुआ पोस्टमार्टम इधर, दोपहर 12 बजे तक भी कागजी कार्रवाई नहीं होने के कारण शिशु का शव अस्पताल में ही रखा गया। करीब दो बजे बाद शिशु का सामान्य चिकित्सालय स्थित मोर्चरी में पोस्टमार्टम करवाया गया। इसके बाद शव परिजनों को सौंपा गया। शिशु की मौत से उसकी मां के साथ साथ उसकी दादी व बुआ का भी रो रोकर बुरा हाल था। इसकी शिकायत परिजनों ने शिशु चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को की।