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जिले में मजदूर दिवस मनाने की तैयारी, लेकिन बाल मजदूरों का ख्याल नहीं है ख्याल

locationअलवरPublished: May 01, 2018 01:07:48 pm

Submitted by:

Prem Pathak

अलवर में बाल श्रम खुलेआम हो रहा है। एक सर्वे में 646 बाल श्रमिक मिले हैं।

Child labor increasing in alwar
जिले में श्रमिक हितों के लिए काम कर रहे श्रमिक संगठन श्रमिकों के हितों की तो बात करते हैं लेकिन श्रमिकों के बच्चे जो बाद में श्रम कार्य से जुड़ जाते हैं या फिर गरीबी के चलते बालश्रम करने को मजबूर हो जाते हैं। इन बच्चों के बचपन को बचाने की कोई पहल न तो श्रमिक संगठन कर रहे हैं ओर न ही संबंधित विभाग। यहां तक की बच्चों के हितों के लिए काम कर रही संस्थाओं का ध्यान भी इन बालश्रमिकों पर नहीं जाता, वे कभी इनके अधिकारों के खिलाफ आवाज नहीं उठाते हैं।
646 बाल श्रमिक मिले

बाल श्रमिक परियोजना के तहत अलवर जिले में 15 दिसंबर 2017 से 31 जनवरी 2018 के मध्य एनजीओ के माध्यम से कराए गए सर्वे में जिले में 646 बाल श्रमिक चिंहित किए गए हैं। मात्र दो माह की अवधि में इतनी बड़ी संख्या में बालश्रमिकों का चिन्हिकरण इस बात को स्पष्ट कर रहा है कि जिले में बालश्रम हो
रहा है।
कलक्टर के आदेश के बाद भी कार्रवाई धीमी

जिला कलक्टर ने 13 अपे्रल को बालश्रम के संबंध मेंं संबंधित विभागों के बैठक लेकर ईंट भटटों का सर्वे करने, चिंहित बालश्रमिकों को 17 सरकारी योजनाओं को जोडऩे सहित अन्य निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
विभागों में सांमजस्य का अभाव

अलवर जिला देश का बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। बाल श्रम के लिए श्रम विभाग, समाज कल्याण, बाल कल्याण समिति, मानव तस्कर निरोधी यूनिट, चाइल्ड लाइन, बाल श्रम टास्क फेार्स सहित अन्य विभाग कार्य कर रहे हैं। लेकिन इन विभागों में आपसी सामंजस्य नहीं होने के कारण अलवर जिले में बालश्रमिकों को चिह्नित की कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई है। विभागों को यह भी नहीं पता कि कौनसे विभाग में कौनसी योजना चल रही है। जिनका लाभ इन बालश्रमिकों को मिल सकता है। अलवर जिले में चलने वाले औद्योगिक इकाइयों, उद्योगों, कल कारखानों और छोटी फैक्ट्रियों में बड़़ी संख्या में बालश्रमिक कार्य कर रहे हैं ।
बाल श्रम निषेध अधिनियम के तहत 14 साल से कम आयु के बच्चों को किसी फैक्ट्री, कारखाने या अन्य उद्योग में काम पर नहीं रखा जा सकता। यदि नियोजक पर दोष साबित होने पर 20 हजार या उससे अधिक का जुर्माना या 6 साल तक की सजा हो सकती है। यदि 15 से 18 साल तक के किशोर फैक्ट्री में कार्य करते हैं तो उनको नियोजक को मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र लेना होता है।
बीएल वर्मा, निदेशक, बालश्रमिक परियोजना, अलवर।
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