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स्कूली शिक्षा-सत्र शुरू पर बच्चे दूर, लगातार कई घंटे की ऑन लाइन शिक्षा से सभी परेशान

locationअलवरPublished: Jul 05, 2020 12:08:14 am

स्कूली शिक्षा-सत्र शुरू पर बच्चे दूर, लगातार कई घंटे की ऑन लाइन शिक्षा से सभी परेशान

स्कूली शिक्षा-सत्र शुरू पर बच्चे दूर, लगातार कई घंटे की ऑन लाइन शिक्षा से सभी परेशान

स्कूली शिक्षा-सत्र शुरू पर बच्चे दूर, लगातार कई घंटे की ऑन लाइन शिक्षा से सभी परेशान

अलवर. कोरोना संक्रमण के डर से स्कूली शिक्षा से बच्चे दूर हो गए हैं। सरकारी स्कूलों ने शिक्षा-सत्र तो प्रारम्भ कर दिया है लेकिन बच्चे स्कूल से दूर हैं। ऐसे में सरकारी स्कूल के शिक्षक मिड- डे -मील का राशन बांटने सहित कई पुराने कामों को पूरा करने में लगे हैं। गैर सरकारी स्कूलों में बच्चों की ऑन लाइन पढ़ाई की जा रही है जिससे बच्चे ही नहीं अभिभावक भी परेशान हैं।
गैर सरकारी स्कूल एक जुलाई से नया शिक्षा सत्र तो चला रहे हैं, लेकिन उनके चलाने का तरीका सरकारी स्कूलों से अलग है। बहुत से स्कूल वाले बच्चों को कक्षा के पाठों के अनुसार ही उनके वीडियो तैयार कर बच्चों को अभिभावकों के मोबाइल पर भेज रहे हैं। दूसरी तरफ कई स्कूलों में ऑन लाइन पढ़ाया जा रहा है जिसमें छोटी कक्षा पांचवी तक के विद्यार्थियों को समझ ही नहीं आ रहा है। इसमें सबसे अधिक दिक्कत ग्रुप से जुडऩे और बच्चों को समझ आने की है।
अधिकतर अभिभावक स्वयं ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाली पढ़ाई को समझ पाने में असमर्थ है।
पढ़ाई पर जोर, सर्वांगीण विकास पर ध्यान नहीं : अभिभावकों का कहना है कि गैर सरकारी स्कूल फीस के चक्कर में ऑन लाइन शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं जिसमें मात्र पढ़ाया जा रहा है। हम बच्चों को आफिस जाने के बाद अपना मोबाइल नहीं देकर जा सकते और उन्हें मोबाइल खरीदवा नहीं सकते हैं। इसमें बच्चों को सर्वांगीण विकास के लिए कुछ एकस्ट्रा एक्टिविटी करवानी चाहिए। एक अभिभावक ने बताया कि गैर सरकारी स्कूल वाले अपनी मर्जी से एक-एक घंटे की कई कक्षाएं चला रहे हैं जबकि यह सही नहीं है। इस समय तो उनको बस काम पर
लगाना है।
जब पूरा संसार कोरोना से जूझ रहा है। कई देशों ने तो एक साल तक बच्चों को स्कूल नहीं भेजने का निर्णय किया है तो हमें क्या जल्दबाजी है। स्कूलों को ऑन लाइन शिक्षा में गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए। इसी प्रकार शिक्षाविद् मनीष जैन कहते हैं कि बच्चों को स्क्रीन पर देखने का समय निर्धारित है। यदि छोटे बच्चे को एक घंटे से अधिक स्क्रीन दिखाएंगे तो उसकी आंख ही नहीं दिमाग पर भी असर पडेग़ा। यह बात सभी को समझनी चाहिए।
ऑनलाइन शिक्षा का साइड इफेक्ट: नेत्र व कान रोगों के शिकार हो रहे विद्यार्थी
नेत्र रोग चिकित्सकों का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा के चलते छोटे बच्चे काफी देर तक लगातार मोबाइल को लेकर बैठे रहते हैं। कई बच्चे इस बात का फायदा उठाकर बाद में भी मोबाइल लेकर बैठे रहते हैं जिसके चलते उनकी आंखोंंपर जोर पड़ रहा है। ऐसे में कई बच्चों के कान में भी लीड लगाने से दर्द होने लगा है। इन रोगों के चिकित्सकों के पास ऐसे मरीज आने लगे हैं।

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