अलवर

एक्सक्लूसिव: अलवर में यहां रह रहे हैं बांग्लादेशी, वोटर बनने की कर रहे हैं तैयारी

अलवर में एक दर्जन से अधिक ईंट-भट्टों पर कार्य कर रहे हैं बांग्लादेशी, पड़ताल में पता चला।

अलवरApr 21, 2018 / 02:43 pm

Prem Pathak

अलवर. सभी गुप्तचर एजेंसियों की सक्रियता के बावजूद अलवर जिले के बहरोड़ क्षेत्र के माजरी के आस-पास के क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक ईंट-भट्टों पर बड़ी संख्या में बांग्लादेशी काम कर रहे हैं। जिनसे कोई यह पूछने वाला नहीं है कि उनका मूल निवास कहां है। नियमित रूप से कार्य कर अपनी आजीविका चला रहे हें। खास बात यह है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले ये बांग्लादेशी भी मतदाता सूची में नाम जुड़वाने की पूरी तैयारी में हैं। जबकि फिलहाल उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है। सिर्फ इस आधार पर कि कई सालों से यहां कार्यकर रहे हैं। वोटों की राजनीति के चक्कर में यह संभव भी है कि जालसाजी दस्तावेजों के जरिए ये भावी मतदाता बन जाएं।
रोहिंग्या मुसलमानों के बाद एजेंसी सक्रिय

देश में रोहिंग्या लोगों की घुसपैठ के बाद गुप्तचर एजेंसियां अधिक सक्रिय हैं।अवैध रूप से बांग्लादेश से भारत में आ चुके लोगों की धरपकड़ सालों से जारी है। अलवर जिले में भिवाड़ी से कई बार संदिग्ध बांग्लादेशियों को पकड़ा गया है। इसके बावजूद भी जिले की सीमा में बांग्लादेशियों का होना गुप्तचार एजेंसी व पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और सक्रियता पर बड़ा सवालिया निशान लगाता है।
पत्रिका पहुंचा, खुद ने कहा बांग्लोदशी हैं
माजरी के निकट सडक़ के किनारे एक दर्जन से अधिक ईंट भट्टे हैं। अधिकतर भट्टों पर काफी संख्या में बांग्लादेशी हैं। पत्रिका टीम ने जब इनसे बातचीत की तो इन्होंने खुद ने यह कबूल लिया कि वे कई साल पहले बांग्लादेश से आए थे।तब से यहीं रह रहे हैं।पहले तो खुद को बिहार व बंगाल का बताते रहे।जब वहां का जिला व गांव का नाम पूछा तो चुप हो गए।अधिक पड़ताल की तो एक नहीं कईयों ने बता दिया कि बांग्लोदशी हैं। जिनमें से कुछपांच साल पहले कुछ8 से 10 साल पहले यहां आए थे।उसके बाद से यही रह रहे हैं।
बांग्लादेशी होने का यह भी प्रमाण

इनके बांग्लादेशी होने के और भी कईप्रमाण हैं।एक तो हिन्दुस्तान का कोई पहचान पत्र नहीं हैं।दूसरा भाषा भी बांग्लोदशी है।तीसरा इनके असली नाम भी वहीं के हैं।कुछने उप नाम भी निकाल ररखे हैं।नई पीढ़ी के बच्चे क्षेत्रीय भाषा को समझने लगे हैं।लेकिन उनके माता-पिता अभी तक यहां की भाषा को पूरी तरह नहीं पकड़ पाते हैं।
भिवाड़ी में भी पकड़े
भिवाड़ी में सबसे अधिक संदिग्ध बांग्लोदशी पकड़े गए हैं। भिवाड़ी बस स्टैण्ड से 8 सितम्बर 2017 को 22 संदिग्ध बांग्लादेशियों को पकड़ा गया। 2017 में ही यूआईटी भिवाड़ी थाना ने दो बांग्लादेशियों को पकड़ा। 27 अगस्त 2017 को तीन बांग्लादेशियों को जिला कारागृह से वापस उनके देश भिजवाया है। इसके अलावा प्रदेश के कईअन्य जिलों में भी ऐसे संदिग्ध पकड़े गए हैं।
ये है असली नाम
मोहिनून, पियारुद्दीन, नायला।
अब ये नए नाम

शैफाली, पॉपी जैसे नाम निकाल रहे हंैं।

ठेकेदार भी बोला बांग्लोदशी हैं

ईंट-भट्टों पर कार्य करा रहा एक ठेकेदार ने भी यह स्वीकार किया कि बांग्लोदशी हैं।ये आते-जाते रहते हैं।कई सालों में वापस जाते हैं।
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